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Goddess Kali is the destroyer of evil. Maha Kali is mostly worshiped by Tantriks to gain powers. People chant Maha Kali Mantra to remove all hurdles from their life.
माँ काली का प्रादुर्भाव जगतजननी माँ भगवती दुर्गा जी से तब हुआ था जब असुरों ने पूरी सृष्टि को आतंकित किया हुआ था और धर्म पर अधर्म हावी होने लगा था। सृष्टि की अन्य सभी शक्तियाँ निस्तेज सी प्रतीत होती थी और रक्त बीज तेजी से बढ़ता ही जा रहा था तब भगवती दुर्गा जी से माँ महाकाली उत्पन्न हुई। माँ महाकाली हिन्दू धर्म की प्रमुख देवी है और कलयुग में जीवन्त रुप में विद्यमान है।
कुछ अज्ञानी लोग माता महाकाली के रुप को देखकर कई लोग भयभीय हो जाते है लेकिन जो उनके इस रुप को धारण करने की कथा जानते है वह उनकी करुणा और वात्सल्य भाव में सदैव डूबे रहते है।
माता महाकाली का यह रुप प्रकृति के शत्रुओं का शत्रु है और उन लोगों के लिए यमराज है जो आसुरी कार्यों में लिप्त रहते है और अन्याय की नीति अपनाते है। सामान्य शब्दों में समझें तो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक ही काली अवतार है। जो लोग अच्छे और शुभ कार्यों में लिप्त रहते है और प्रकृति को नुकसान नही पहुँचाते माँ काली उनपर सदैव अपना आर्शिवाद बनायें रखती है।
भगवती काली दसमहाविद्याओं में प्रथम स्थान पर हैं। काली देवी को आद्य महाविद्या भी कहा गया है। भगवती काली का रूप अत्यंत भयंकर है, परन्तु ये देवी अपने भक्तों के हर इच्छाओं को पूर्ण करने वाली, दयामयी हैं। तंत्र ग्रंथों में भगवती महाकाली के अनेको रूपों का वर्णन किया गया है एवं अनेकों साधना विधान बताये गए हैं, परन्तु तंत्र का अनुसरण और तांत्रिक साधनाएँ अत्यंत दुरूह एवं प्राणघातक भी हैं। माँ महाकाली में अनन्य भक्ति एवं अटूट विश्वास रखकर कोई भी मनुष्य उनकी कृपा प्राप्त कर सकता है। काली देवी की साधना हर प्रकार के मनोकामनाओं की पूर्ति एवं मोक्ष प्राप्ति के लिए की जाती है।
माँ महाकाली के पूजन के लिए उनके एकाक्षरी मंत्र क्रीं को बहुत शुभ बताया गया है। गृहस्थ हो या योगी कोई भी इस मंत्र का जप कर माता महाकाली का आर्शिवाद प्राप्त कर सकते है।
गुरु राहुलेश्वर
भाग्य मंथन
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