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मनुष्य योनि में जन्म लेने मात्र से ही मनुष्यता की उपाधि नहीं मिल जाती। मनुष्यता प्राप्त करने के लिए और अपने मनुष्य जीवन को सिद्ध करने के लिए हमें अपने जीवन में उसके अनुरुप कार्य भी करने पड़ते है।
काम, क्रोध, लोभ-लालच, मोह और अहंकार में फंसकर मनुष्य पशुत्व व्यवहार करता है और अपने पतन का मार्ग तैयार कर लेता है। ऐसी स्थिति में जब मनुष्य चाह कर भी अपने पशुत्व जीवन से बाहर नहीं निकल पाता तब उसे पशुपतिनाथ का पूजन व ध्यान करना चाहिए। भगवान शिव का यह रुप सभी पशुओं के नाथ होने के साथ साथ मनुष्य योनि में जन्म लेने वाले पशुत्व जीवन भोग रहे लोगों का भी उद्धार करते है और जीवन को सही दिशा व सद्मार्ग देते है।
।। ॐ पशुपतिनाथाय नमः ।।
गुरु राहुलेश्वर । Guru Rahuleshwar
भाग्य मंथन । Bhagya Manthan
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आदि शंकराचार्य जी की जयंती पर उन्हें शत् शत् नमन
गुरु राहुलेश्वर
भाग्य मंथन
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पांच ज्ञानेंद्रियां- आंख, कान, नाक, जीभ और त्वचा और पांच कर्मेंद्रियां- हाथ, पैर, मुंह, गुदा और लिंग और इन सभी अनियंत्रित इन्द्रियों का स्वामी मन (रावण) है।
जिस पल इन दस इन्द्रियों के अनियंत्रित स्वामी मन (रावण) को ज्ञान और साधना के बल से हरा दोगे उस दिन यही नियंत्रित इन्द्रियों का स्वामी मन (राम) है और यही वास्तविक दशहरा है।
आप सभी देशवासियों को दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएं।
गुरु राहुलेश्वर । भाग्य मंथन
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कर्मठ व्यक्ति का राजयोग उदय होने से कोई नहीं रोक सकता। जन्म कुंडली में राजयोग प्राप्ति का कोई योग न भी हो फिर भी आप निरन्तर मेहनत कर प्राप्त कर सकते है।
जन्मकालिक ग्रह राजयोग दर्शायें यह भी किसी कालखण्ड का कड़ा परिश्रण और पुण्य कर्म है इसलिए आज पुण्य कर्म करिये, अपने कार्यों को मेहनत व लगन के साथ कीजिये क्योंकि ऐसा करने से राजयोग जरुर उदय होगा।
ईश्वरीय विधान सदैव आपका मंगल चाहता है।
नमो नारायण
गुरु राहुलेश्वर, भाग्य मंथन
त्वमेव माता च पिता त्वमेव त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव।
त्वमेव विद्या द्रविणम् त्वमेव त्वमेव सर्वम् मम देव देव।।
अर्थः हे भगवान आप ही मेरे माता हैं, आप ही मेरे पिता हैं, आप ही मेरे मित्र हैं, आप ही मेरे भाई हैं, आप ही मेरी सम्पत्ति हैं और आप ही ज्ञान हैं, हे प्रभु आप ही मेरे सर्वेसर्वा हैं।
#राहुलेश्वर
भाग्य मंथन
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महान योद्धा, अदम्य साहस, देश भक्ति, दृढ़ता एवं बहादुरी के प्रतीक महाराणा प्रताप जी की जयंती पर जन संघ पार्टी उन्हें शत् शत् नमन करती है।
आज महाराणा प्रताप जी की जयंती के अवसर पर उनकी निष्पक्षता व न्याय को याद करते हुए देश की वर्तमान स्थिति का चिंतन मंथन करता हूँ तो बहुत दुख होता है। देश में गरीब व असहाय वर्ग को राज्य सरकारे कीड़े मकोड़ों की तरह इधर से उधर फेंकने का प्रयास करती दिख रही है। जिस राज्य में भी देखें सब इसी होड़ में है कि किसी तरीके से हमारा राज्य उन्नति करें और हम अन्य राज्यों से आगे दिखें लेकिन इस उन्नति को प्राप्त करने के लिए सही मार्ग का चुनाव नहीं किया गया और शोषण और अन्याय की राजनीति करते हुए "गरीबी हटाओ" की जगह "गरीबों को हटाओ" की नीति पर कार्य होने लगा।
जो मध्यम वर्गीय और कमजोर आय वर्ग मिलकर एक सरकार का चुनाव करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है उनकी दुर्गति और शोषण करने के लिए अब तक वह सब कार्य कर दिये गये है जो बिल्कुल नहीं होने चाहिए थे।
वर्तमान केन्द्र सरकार ने कई अच्छे कार्य अभी तक किये इसमें कोई संदेह नहीं लेकिन अभी कि स्थिति को देखते हुए कोई ऐसा कदम नहीं उठाया जोकि सन्तोषपूर्ण हो या वास्तविक राहत देने वाला हो।
व्यापारी वर्ग हो, कमजोर आय वर्ग हो, बच्चों की स्कूल फीस हो, बैंको की ई एम आई हो सब बाहरी रुप रचित प्रपंच और अखबारों की सुरखियाँ बटोरने से ज्यादा कुछ नहीं है। बैंक अपनी मनमानी कर रहे है, पर्सनल लोन वाले अपनी उगाही कर रहे है, हाउसिंग लोन वाले गुपचुप तरीके से लेनदारों पर दबिश बना ही रहे है, स्कूल अपनी फीस वसूल रहे है वो भी झूटी आनलाईन पढ़ाई के बहाने, जो फैक्टरी बंद है वो अपने आश्रितों को सैलरी नहीं दे पा रहे है, बहुत सी चीजें है लेकिन वास्तिविक राहत कहीं नही बस डिजिटल प्रमोशन और दिखावा है।
आज महाराणा प्रताप जी की जयंती के अवसर पर मैं देश पर सत्तारुढ़ पार्टी से विनम्र निवेदन करना चाहूंगा कि इस महामारी के दौरान आपके द्वारा जो भी दिखावटी ढ़ाचा तैयार किया गया है उसको वास्तविक रुप से कार्यान्वित भी करें। इस समय ज्यादा कुछ नहीं तो बच्चों की स्कूली फीस ही माफ करवा दी जाये और जो भी बैंक्स और एनबीएफसी है उन्हें कठोरता से नियम पालन करवायें जायें।
ईश्वर से प्रार्थना करते है कि यह महामारी जल्दी समाप्त हो और देश प्रगति के मार्ग पर पुनः आगे बढ़े।
राष्ट्र देवो भवः
गुरु राहुलेश्वर, राष्ट्रीय सचिव
जन संघ पार्टी
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भगवान नीलकंठ महादेव इस सृष्टि से उत्पन्न कालकूट (हलाहल) विष हो या मनुष्य के अन्दर विकाररुपी विष हो सभी को आनंद से ग्रहण कर लेते है और शरणागत की रक्षा करते है। इस पूरी सृष्टि में इनसा कोई सौम्य और भोला भी नहीं और ढूढ़ने निकलोगे तो भयानक भी कोई नहीं।
इनके डमरु की थाप सृष्टि का नाद है जो प्रत्येक जीव के हृदय में ध्वनि प्रतीक रुप में वास करती है। इस ब्रह्माण्ड का प्रत्येक कण इसी नाद पर नृत्य करता प्रतीत होता है। ध्यानियों और सन्यासियों के लिए यह नाद प्राण शक्ति का उर्ध्वगमन कराने वाली है और गृहस्थों के लिए यह नाद अधोपतन करती हुई मैथुनी सृष्टि का विस्तार करने वाली है।
वर्तमान समय में एक विषाणु के कारण पूरी सृष्टि त्राहिमाम कर रही है ऐसे समय में सृष्टि के रक्षक, जिन्होंने सृष्टि रक्षा के लिए कालकूट विष को अपने कंठ में धारण किया था उनका ध्यान करेंगे और उनसे प्रार्थना करेंगे की हे प्रभू इस महामारी से पूरे विश्व को मुक्त करें।
।। ॐ अघोरेभ्यो अथ घोरेभ्यो घोर घोरतरेभ्यः सर्वतः सर्व सर्वेभ्यो नमस्ते अस्तु रुद्ररूपेभ्यः ।।
अर्थः जो अघोर है, घोर है, घोर से भी घोरतर है और जो सर्वसंहारी रुद्ररुप है, आपके उन सभी स्वरुपों को मेरा नमस्कार है।
गुरु राहुलेश्वर
भाग्य मंथन
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महान क्रान्तिकारी, देश प्रेमी, साहसी, वीरता के प्रतीक, भारत माता के सपूत चंद्रशेखर आजाद जी के जन्मदिवस पर उन्हें जन संघ पार्टी शत शत नमन करती है।
आज के समय में कुछ लोग चन्द्रशेखर आजाद जी के नाम का सहारा लेकर उनके कद से अपनी तुलना करने का प्रयास कर रहे है लेकिन उन्हें यह तक नहीं पता की राष्ट्रवाद और राष्ट्रभक्ति किसे कहते है।
गुरु राहुलेश्वर, राष्ट्रीय सचिव
जन संघ पार्टी
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श्री गणेश शिवजी और पार्वती के पुत्र हैं। उनका वाहन डिंक नामक मूषक है। गणों के स्वामी होने के कारण उनका एक नाम गणपति भी है। ज्योतिष में इनको केतु का देवता माना जाता है और जो भी संसार के साधन हैं, उनके स्वामी श्री गणेशजी हैं। हाथी जैसा सिर होने के कारण उन्हें गजानन भी कहते हैं। गणेश जी का नाम हिन्दू शास्त्रों के अनुसार किसी भी कार्य के लिये पहले पूज्य है। इसलिए इन्हें प्रथमपूज्य भी कहते हैं। गणेश कि उपसना करने वाला सम्प्रदाय गाणपत्य कहलाता है।
गणपति आदिदेव हैं जिन्होंने हर युग में अलग अवतार लिया। उनकी शारीरिक संरचना में भी विशिष्ट व गहरा अर्थ निहित है। शिवमानस पूजा में श्री गणेश को प्रणव (ॐ) कहा गया है। इस एकाक्षर ब्रह्म में ऊपर वाला भाग गणेश का मस्तक, नीचे का भाग उदर, चंद्रबिंदु लड्डू और मात्रा सूँड है।
चारों दिशाओं में सर्वव्यापकता की प्रतीक उनकी चार भुजाएँ हैं। वे लंबोदर हैं क्योंकि समस्त चराचर सृष्टि उनके उदर में विचरती है। बड़े कान अधिक ग्राह्यशक्ति व छोटी-पैनी आँखें सूक्ष्म-तीक्ष्ण दृष्टि की सूचक हैं। उनकी लंबी नाक (सूंड) महाबुद्धित्व का प्रतीक है।
आप सभी के लिए बुधवार का दिन शुभ मंगलमय और विघ्नरहित हो ऐसी हम वक्रतुण्ड भगवान से प्रार्थना करते है।
जय श्री गणेश महाराज
गुरु राहुलेश्वर
भाग्य मंथन
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पापों का नाश करने वाली और जीवन में पुण्यों का उदय करने वाली कार्तिक पूर्णिमा की आप सभी को बहुत बहुत शुभकामनाएं।
गुरु #राहुलेश्वर
भाग्य मंथन
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आप सभी देशवासियों को भाई दूज की बहुत बहुत शुभकामनाएं।
गुरु #राहुलेश्वर
भाग्य मंथन
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भारत में एक मई का दिवस सब से पहले चेन्नई में 1 मई 1923 को मनाना शुरू किया गया था। उस समय इस को मद्रास दिवस के तौर पर प्रामाणित कर लिया गया था। इस की शुरूआत भारती मज़दूर किसान पार्टी के नेता कामरेड सिंगरावेलू चेट्यार ने शुरू की थी। भारत में मद्रास के हाईकोर्ट सामने एक बड़ा प्रदर्शन किया और एक संकल्प के पास करके यह सहमति बनाई गई कि इस दिवस को भारत में भी कामगार दिवस के तौर पर मनाया जाये और इस दिन छुट्टी का ऐलान किया जाये। भारत समेत लगभग 80 मुल्कों में यह दिवस पहली मई को मनाया जाता है। इसके पीछे तर्क है कि यह दिन अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस के तौर पर प्रामाणित हो चुका है।
आप सभी को जन संघ पार्टी की ओर से अन्तर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएं।
गुरु राहुलेश्वर, राष्ट्रीय सचिव
जन संघ पार्टी
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आप सभी देशवासियों को रंगों के महापर्व होली की हार्दिक शुभकामनाएं।
गुरु राहुलेश्वर, भाग्य मंथन
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माँ काली का प्रादुर्भाव जगतजननी माँ भगवती दुर्गा जी से तब हुआ था जब असुरों ने पूरी सृष्टि को आतंकित किया हुआ था और धर्म पर अधर्म हावी होने लगा था। सृष्टि की अन्य सभी शक्तियाँ निस्तेज सी प्रतीत होती थी और रक्त बीज तेजी से बढ़ता ही जा रहा था तब भगवती दुर्गा जी से माँ महाकाली उत्पन्न हुई। माँ महाकाली हिन्दू धर्म की प्रमुख देवी है और कलयुग में जीवन्त रुप में विद्यमान है।
कुछ अज्ञानी लोग माता महाकाली के रुप को देखकर कई लोग भयभीय हो जाते है लेकिन जो उनके इस रुप को धारण करने की कथा जानते है वह उनकी करुणा और वात्सल्य भाव में सदैव डूबे रहते है।
माता महाकाली का यह रुप प्रकृति के शत्रुओं का शत्रु है और उन लोगों के लिए यमराज है जो आसुरी कार्यों में लिप्त रहते है और अन्याय की नीति अपनाते है। सामान्य शब्दों में समझें तो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक ही काली अवतार है। जो लोग अच्छे और शुभ कार्यों में लिप्त रहते है और प्रकृति को नुकसान नही पहुँचाते माँ काली उनपर सदैव अपना आर्शिवाद बनायें रखती है।
भगवती काली दसमहाविद्याओं में प्रथम स्थान पर हैं। काली देवी को आद्य महाविद्या भी कहा गया है। भगवती काली का रूप अत्यंत भयंकर है, परन्तु ये देवी अपने भक्तों के हर इच्छाओं को पूर्ण करने वाली, दयामयी हैं। तंत्र ग्रंथों में भगवती महाकाली के अनेको रूपों का वर्णन किया गया है एवं अनेकों साधना विधान बताये गए हैं, परन्तु तंत्र का अनुसरण और तांत्रिक साधनाएँ अत्यंत दुरूह एवं प्राणघातक भी हैं। माँ महाकाली में अनन्य भक्ति एवं अटूट विश्वास रखकर कोई भी मनुष्य उनकी कृपा प्राप्त कर सकता है। काली देवी की साधना हर प्रकार के मनोकामनाओं की पूर्ति एवं मोक्ष प्राप्ति के लिए की जाती है।
माँ महाकाली के पूजन के लिए उनके एकाक्षरी मंत्र क्रीं को बहुत शुभ बताया गया है। गृहस्थ हो या योगी कोई भी इस मंत्र का जप कर माता महाकाली का आर्शिवाद प्राप्त कर सकते है।
गुरु राहुलेश्वर
भाग्य मंथन
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यह शरीर ही सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड है और इसी के अन्दर सभी रहस्यों का उत्तर और सभी समस्याओं का समाधान है। हमारे शरीर में ही शत्रु का भी वास है और मित्र का भी वास है। आलस्य हमारे शरीर का सबसे बड़ा शत्रु है और यदि यह शरीर में अत्यधिक रहे तो अपमान, अवनति, रोग व सर्वस्व असफलता का कारक है और दूसरी तरफ परिश्रम हमारे शरीर का सबसे बड़ा मित्र है क्योंकि इससे शरीर पूर्ण रुप से स्वस्थ रहता है, सम्मान की प्राप्ति होती है, उन्नति के साथ जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता मिलती है इसलिए सदैव आलस्य से दूर रहे और सदैव परिश्रमी बनिये।
गुरु राहुलेश्वर
भाग्य मंथन
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आज 7 मई 2020 है और आज गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की जंयती है जिनका जन्म 7 मई 1861 में कोलकाता में हुआ था। इनका सम्पूर्ण जीवन एक चमत्कार से कम नहीं था। अपनी कहानियों और कविताओं को लेकर बचपन से गुरुदेव के नाम से इन्हें लोग पुकारने लगे थे। इनको 1913 में काव्यरचना गीतांजलि के लिए नोबेल पुरस्कार भी मिला था।
गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर जी ने भारत के लिए जन गण मन और बांग्लादेश के लिए आमार सोनार बांग्ला राष्ट्रगान भी लिखा था।
आज रवींद्रनाथ टैगोर जी की जयंती के दिन जन संघ पार्टी उन्हें शत् शत् नमन करती है।
गुरु राहुलेश्वर, राष्ट्रीय सचिव
जन संघ पार्टी
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"विदेशों में मजदूर बनकर भी सफल हो जायेगें लेकिन अपने स्वयं के देश में इंजीनियरिंग करके भी असफल रह जायेगें"
इस सोच का जन्मदाता कौन है?
युवाओं का अपने देश के राजतंत्र पर यह नकारात्मक विश्वास उन विफलताओं को दर्शाता है जिन विफलताओं के कारण भारतीय युवा हाथ पैर होने के बाद भी स्वयं को अपंग महसूस करता है। राष्ट्रवादी विचारधारा मुफ्त की सुविधाओं की लालसाओं के नीच दबकर अन्तिम श्वास ले रही है जोकि कभी भी मृत्यु को प्राप्त हो सकती है इसलिए समय रहते अपनी आँखे खोलिये और अपना वोट राष्ट्रवाद को दें न कि मुफ्त की चीजों और सुविधाओं के लालचवाद को।
गुरु राहुलेश्वर, राष्ट्रीय सचिव
जन संघ पार्टी
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आज दिनाँक 22 मई, 2020 शुक्रवार के दिन ज्येष्ठ मास की अमावस्या के दिन शनि जयंती पूरे देश में धूम धाम से मनायी जायेगी। इस दिन शनि देव के निमित्त व्रत उपवास रखने से शनि कृपा तो प्राप्त होती ही है और यदि कोई शनि देव के प्रकोप से पीड़ित है और किसी पर शनि साढ़े साती, शनि ढैय्या या कंटक योग बना हो तो उसे भी आज के दिन विधिपूर्वक व्रत उपवास व दान करने से शनि देव का आर्शिवाद प्राप्त होता है।
आज के दिन वट सावित्री व्रत भी मनाया जाता है और जो विवाहित स्त्री आज के दिन वट सावित्रि व्रत को नियमों का पालन करते हुए रखती है तो उसे अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति भी होती है।
कुल मिलाकर आज का दिन बहुत शुभ है इसका अच्छे से सदुपयोग करें और अपने जीवन को शुभ व मंगलमय बनायें।
आप सभी को शनि देव जयंती और वट सावित्री व्रत की बहुत बहुत शुभकामनाएं।
गुरु राहुलेश्वर । Guru Rahuleshwar
भाग्य मंथन । Bhagya Manthan
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।। श्री विष्णु का ध्यान ।।
उद्यत्कोटिदिवाकराभमनिशं शंख गदां पंकजं
चक्रं बिभ्रतमिन्दिरावसुमतीसंशोभिपार्श्वद्वयम्।
कोटीरांगदहारकुण्डलधरं पीताम्बरं कौस्तुभै-
र्दीप्तं श्विधरं स्ववक्षसि लसच्छीवत्सचिह्रं भजे॥
ध्यानार्थे अक्षतपुष्पाणि समर्पयामि ॐ विष्णवे नमः ।
अर्थः उदीयमान करोड़ों सूर्य के समान प्रभातुल्य, अपने चारों हाथों में शंख, गदा, पद्म तथा चक्र धारण किये हुए एवं दोनों भागों में भगवती लक्ष्मी और पृथ्वी देवी से सशोभित, किरीट, मुकुट, केयूर, हार और कुण्डलों से समल शोभित और कौस्तुभमणि तथा पीताम्बर से देदीप्यमान विग्रहयुक्त एवं वक्षःस्थल पर श्रीवत्यचिन्ह धारण किये हुए भगवान् विष्णु का मैं निरन्तर ध्यान करता हूँ।
आज बृहस्पतिवार का दिन है और आज के दिन गुरु बृहस्पति ग्रह और विष्णु जी का पूजन किया जाता है। भगवान विष्णु इस सृष्टि के पालक व पोषक करने वाले है और जब जब पृथ्वी पर कोई बड़ी विपत्ति आती है तब तब श्री हरि विष्णु अपनी कृपा पृथ्वी पर जरुरर करते है।
गुरु राहुलेश्वर | Guru Rahuleshwar
भाग्य मंथन । Bhagya Manthan
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शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम् ।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम् वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम् ॥
भावार्थ : जिनका आकृति अतिशय शान्त है, जो धीर क्षीर गंभीर हैं, जो शेषनाग की शैय्या पर विराजमान हैं, जिनकी नाभि कमल स्वरुप है, जो देवताओं के भी ईश्वर है, जो सम्पूर्ण जगत के आधार हैं, संपूर्ण विश्व जिनकी रचना है, जो आकाश के सदृश सर्वत्र व्याप्त हैं, नीलमेघों के समान जिनका वर्ण है, जिनके सम्पूर्ण अंग अतिशय सुन्दर एवं मनभावन है, ऐसे लक्ष्मीपति, कमलनेत्र जो योगियों द्वारा ध्यान करके प्राप्त किए जाते हैं, उन भगवान श्री विष्णु को मैं प्रणाम करता हूँ, जो जन्म-मरण रुप भय का नाश करने वाले हैं, जो सम्पूर्ण लोकों के स्वामी हैं और सम्पूर्ण चराचर जगत के ईश्वर हैं।
राहुलेश्वर
भाग्य मंथन
सभी देशवासियों को हिन्दू नववर्ष विक्रम संवत 2077, चैत्र नवरात्रि एवं गुड़ी पड़वा की हार्दिक शुभकामनाएं।
ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।
माँ दुर्गा पूरे विश्व पर कृपा करें और इस महामारी रुपी रक्त बीजों का नाश करें।
गुरु राहुलेश्वर
भाग्य मंथन
मातृ दिवस माता को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है. एक मां का आँचल अपनी संतान के लिए कभी छोटा नहीं पड़ता। माँ का प्रेम अपनी संतान के लिए इतना गहरा और अटूट होता है कि माँ अपने बच्चे की खुशी के लिए सारी दुनिया से लड़ लेती है। माँ हमारे जीवन का आधार है, हमारी शक्ति है और इस शक्ति की भक्ति हमें पूरे जीवन भर करनी चाहिए।
आज के दिन अपनी माता के सम्मान के साथ साथ मातातुल्य सभी स्त्रियों को आदर व सम्मान दें व अपनी ओर से श्रद्धा सुमन अर्पित करें।
।। मातृ देवो भवः ।।
गुरु राहुलेश्वर
भाग्य मंथन
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आप सभी माता बगलामुखी जंयती की हार्दिक शुभकामनाएं। वैशाख शुक्ल की अष्टमी तिथि को बगलामुखी जयंती मनायी जाती है। माता बगलामुखी को पीताम्बरा, बगला, ब्रह्मास्त्र विद्या इत्यादि नामों से जाना जाता है। दश महाविद्याओं में से बगलामुखी माता एक है। शत्रु बाधा, षडयंत्र, रोग, मानसिक कष्ट, तांत्रिक क्रियाओं से बचाव हेतु माता बगलामुखी का आवाहन किया जाता है।
अकारण ही यदि कोई व्यक्ति बार बार आपके ऊपर तंत्र मंत्र का प्रयोग करवाता हो एवं धन, शक्ति के मद में पागल हो या फिर किसी झूटे षडयंत्र में फंसाकर परेशान करता है तो माता बगलमुखी का पूजन विधि विधान से करना चाहिए।
माता अपने सभी भक्तजनों पर अपनी कृपा बनायी रखें।
।। नमो नारायण ।।
गुरु राहुलेश्वर, भाग्य मंथन
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सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।
भावार्थः सिद्ध गंर्धर्वों, यक्षों, देवताओं, असुरों द्वारा सदा पूजित सिद्धि देने वाली माता हमको सिद्धि प्रदान करें।
राहुलेश्वर
भाग्य मंथन
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जीव जब जन्म लेता है तब उसे एक जीवन मंच मिलता है यह #मंच महाशक्ति माया का क्रीडा स्थल होता है जहाँ वह नित्य जीव को उलझाये रखने के नये नये #प्रपंच रचती है । जीव भरसक प्रयास करने पर इन प्रपंचों को समझ नहीं पाता है। जितना वह इस प्रपंच को समझने का प्रयास करता है वह उतना ही इनमे फंसता चला जाता है।
क्या सामान्य जीव और क्या साधू सन्यासी उसके लिए सब एक समान है उस महाशक्ति महामाया को समझने का जब भी किसी ने दम्भ भरा वह उसे मंच पर लाकर मायानगरी में प्रपंच ध्वनियों पर ऐसा नचाती है कि वह जीव अपनी सुदबुध भूल बैठता है।
तंत्र मंत्र ज्ञानी नाना प्रकार की विधियों से उस शक्ति को समेटने का बाँधने का प्रयास करते है लेकिन यह भी एकमात्र प्रपंच से ज्यादा कुछ नहीं होता। शक्ति को बाँधने की कल्पना बिल्कुल उसी प्रकार है जैसे एक गागर में सागर को समा देने की कल्पना है।
उस महाशक्ति #महामाया पर आज तक कोई विजय प्राप्त नहीं कर पाया क्योंकि जय विजय तो स्वयं उसके आभूषण मात्र है और इसलिए यदि जीव को इन प्रपंचों से बाहर निकला है तो सरलता और विनम्रता धारण करनी होगी।
निर्मल ज्ञान, सरलता और हृदय में सदैव विनम्रता ही एक ऐसा प्रयास है जिससे #महाशक्ति का आर्शिवाद और वात्सल्य प्राप्त किया जा सकता है।
महामाया महाशक्ति आपके जीवन मंच को एक सुन्दर क्रीडा स्थल बनाये जिससे आपके ज्ञान चक्षु सक्रिय हो पाये और आप महाशक्ति की लीलाओं और प्रपंचो का आनंद ले पायें।
आपका व आपके परिवार का जीवन शुभ व मंगलमय हो।
गुरु #राहुलेश्वर
भाग्य मंथन
।। #नमो #नारायण ।।
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आज बृहस्पतिवार का दिन है जो कि नवग्रहों में बृहस्पति के अधिपत्य में आता है और बृहस्पति के आराध्य श्री हरि विष्णु है जो पूरी सृष्टि के रक्षक व पालन पोषण करने वाले दोनों है। जब जब पृथ्वी पर कोई आपत्ति या महामारी आती है तब तब विष्णु जी विभिन्न रुपों में अवतार लेकर पृथ्वी व पृथ्वी के जीवों की रक्षा करते है।
आईये इस मंत्र से द्वापर युग में विष्णु जी के कृष्ण अवतार का वंदन करें।
वसुदेवसुतं देवं कंसचाणूरमर्दनम् ।
देवकी परमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम् ॥
हिन्दी अर्थ:
कंस और चाणूर का वध करनेवाले, देवकी के आनन्दवर्द्धन, वसुदेवनन्दन जगद्गुरु श्रीक़ृष्ण चन्द्र की मैं वन्दना करता हूँ ।
गुरु राहुलेश्वर । Guru Rahuleshwar
भाग्य मंथन Bhagya Manthan
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भूतकाल में भी शिव तत्व था, वर्तमान में भी है और भविष्य में भी रहेगा।
शिव इस सृष्टि का वास्तविक सत्य है। इस तथ्य को जो अन्दर से सुन लेता
है अर्थात जिसको इस बात का बोध हो जाता है वह वास्तिवक रुप से
सुन्दर कहलाने योग्य है। सत्यं शिवं सुन्दरम्।
गुरु राहुलेश्वर । भाग्य मंथन
इमेलः bhagyamanthan@gmail.com
वेबसाइटः www.bhagyamanthan.in
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वैशाख पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा भी कहा जाता हैं। वैशाख पूर्णिमा को ही महात्मा बुद्ध का जन्म भी हुआ था और इसी दिन उनका निर्वाण भी हुआ था और इसी शुभ दिन महात्मा बुद्ध को बुद्धत्व की प्राप्ति भी हुई थी इसलिए इस दिन का विशेष महत्व है।
गृह त्यागने के पश्चात् ज्ञान के उच्चतम शिखर को प्राप्त करने के लिए सात वर्षों तक वनों में इधर उधर भटके और इस दौरान इन्होंने जीवन को समझा व कठोर साधना करी तत्पश्चात् वैशाख पूर्णिमा के दिन बोधगया जोकि बिहार में स्थित है वहाँ बोधि वृक्ष के नीचे उन्हें बुद्ध तत्व का ज्ञान हुआ और तभी से इस दिन को बुद्ध पूर्णिमा के रुप में जाना जानें लगा व बौध धर्म को मानने वाले लोग इसे एक आध्यात्मिक त्योहार के रुप में मनाने लगे।
बुद्ध से एक मंत्र को मुख्य रुप से जोड़ा जाता है और यह कहा जाता है कि यह बौध धर्म से सम्बन्धित है जोकि इस प्रकार है.
ॐ मणिपद्मे हुम्
लेकिन यदि इस मंत्र को समझें तो इसका अर्थ है ॐ जो सत्य स्वरुप है जो निराकार है और इस पूरी सृष्टि के मूल में व्याप्त है वह एक दुर्लभ मणि अर्थात् आभूषण है जो इस सृष्टि के अन्य सभी आभूषणों का त्याग करने के पश्चात् धारण करने योग्य सर्वोपरि आभूषण है, पद्म का अर्थ कमल से होता है जोकि आध्यात्मिक विकास की उच्चतम स्थिति को दर्शाता है, और अन्त में हूम् लगाया गया है यह एक रक्षात्मक तांत्रिक मंत्र है जिसका अर्थ है हमारी रक्षा हो।
अब यदि साधारण शब्दों में समझें तो इसका भावार्थं यह है कि ॐ रुपी मणि हमारे ज्ञान कमल (सहस्रार चक्र) का विकास करें व इस अवधि में हमारी रक्षा हो।
आप सभी को बुद्ध पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं।
गुरु राहुलेश्वर
भाग्य मंथन
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सभी #देशवासियों को #गोवर्धन पूजा की बहुत बहुत #शुभकामनाएं।
#गोवर्धन धराधार #गोकुल त्राणकारक।
विष्णबाहु कृतोच्छ्राय गवां कोटिप्रभो भव।।
भावार्थः #गोवर्धन पर्वत को अपने हाथ में उठाकर उसको आधार बनाकर उसकी छायारुपी सुरक्षा में समस्त गोकुलवासियों और करोड़ों गौवशों की रक्षा करने वाले भगवान् विष्णु के अवतार श्री कृष्ण भगवान को मैं बारम्बार प्रणाम करता हूँ।
गुरु #राहुलेश्वर
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आप सभी को शरद पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं।
पूर्णिमा तिथि 19 अक्टूबर को शाम 07 बजे से प्रारंभ होगी, जो कि 20 अक्टूबर 2021 को रात 08 बजकर 20 मिनट पर समाप्त होगी।
गुरु राहुलेश्वर । भाग्य मंथन
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#सूर्यपुत्रो दीर्घदेहा विशालाक्ष: शिवप्रिय:। मन्दचार: प्रसन्नात्मा पीड़ां हरतु मे शनि: ।।
अर्थः #सूर्य के #पुत्र, दीर्घ देह वाले, #विशाल नेत्रों वाले, मंद गति से चलने वाले, #भगवान् #शिव के प्रिय तथा प्रसन्नात्मा #शनि मेरी पीड़ा को दूर करें ।
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Mahalaxmi Gayatri Mantra, Guru Rahuleshwar, Bhagya Manthan, महालक्ष्मी गायत्री मंत्र, गुरु राहुलेश्वर, भाग्य मंथन
सृष्टि के पुनः निर्माण से ठीक पहले भगवान शिव पूरी सृष्टि के संहार की भूमिका में रहते है और बाकी समय सृष्टि रक्षण के लिए ध्यानस्थ रहते है। इनकी कृपा प्राप्त करने के लिए ज्यादा प्रपंच भी नहीं करने पड़ते और श्रद्धालू के पास यथाशक्ति जो भी हो ये उसे प्रेम पूर्वक ग्रहण कर लेते है। इनकी महिमा ऐसी है कि सृष्टि के रक्षण के लिए हलाहल विष को भी अमृत की भांति ग्रहण कर जाते है।
गायत्री मंत्र महामंत्र है और जब कोई शिव भक्त गायत्री महामंत्र से भगवान शिव को प्रसन्न करना चाहे तो उसे रुद्र गायत्री मंत्र का नियमित रुप से तीन समय पाठ करना चाहिए।
जब किसी जातक की जन्म कुंडली में कोई क्रूर व पीड़ादायक दोष हो तो उसे भगवान रुद्र की अराधना बहुत राहत देती है।
रुद्र गायत्री मंत्र
।। ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात्।।
आज सोमवार का दिन आप सभी के लिए शुभ व मंगलमय हो।
।।नमो नारायण।।
गुरु राहुलेश्वर | Guru Rahuleshwar
भाग्य मंथन | Bhagya Manthan
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देवभूमि उत्तराखण्ड के सभी वासियों को लोक पर्व फूलदेई की बहुत बहुत शुभकामनाएं।
गुरु राहुलेश्वर, राष्ट्रीय सचिव
जन संघ पार्टी
आज बुधवार है और बुधवार के दिन प्रथम पूज्यनीय विघ्नविनाशक गणपति महाराज का पूजन किया जाता है। आईये आज के दिन की शुरुवात गणपति जी के इस मंत्र से करते है।
एकदन्तं महाकायं लम्बोदरगजाननम्ं।
विध्ननाशकरं देवं हेरम्बं प्रणमाम्यहम्॥
अर्थः जो एक दाँत से सुशोभित हैं, विशाल शरीरवाले हैं, लम्बोदर हैं, गजानन हैं तथा जो विघ्नोंके विनाशकर्ता हैं, मैं उन दिव्य भगवान् हेरम्बको प्रणाम करता हूँ ।
गुरु राहुलेश्वर । Guru Rahuleshwar
भाग्य मंथन । Bhagya Manthan
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।।जय सीता राम।।
आज मंगलवार है और मंगल को जन्में राम भक्तिरस में डूबे मंगलकारी अंजनीसुत पवनपुत्र हनुमान का दिन है। हनुमान जी का पूजन व उनका ध्यान सभी संकटो से निकालने वाला है इसलिए इनका एक नाम संकटमोचन हनुमान भी है। विश्व जब एक मृत्यु श्राप जैसी महामारी से ग्रसित है ऐसी अवस्था में भक्ति रस में डूबे राम रस के प्रेमी मातासीता के शोक का निवारण करने वाले हनुमान जी ध्यान पूरी सृष्टि का शोक हरण करने वाला है।
मंगलवार के दिन भगवान हनुमान जी के हनुमत् द्वादश नाम स्तोत्र का पाठ करने से सभी प्रकार के भय और विपत्तियाँ समाप्त होती है और जीव सद्मार्ग पर चलता है।
।। हनुमत् द्वादश नाम स्तोत्रम् ।।
हनुमान अन्जनासूनु: वायुपुत्रो महाबल: ।
रामेष्ट:फाल्गुण सख: पिगंलाक्षोमितविक्रम: ।।
उदधिक्रमणश्चैव सीताशोक विनाशक: ।
लक्ष्मणप्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा ।।
द्वादशैतानि नामानि कपीन्द्रस्य महात्मन: ।
तस्य मृत्युभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत् ।।
( १ ) हनुमान - जिनकी ठुड्डी वज्र प्रहार से थोड़ी उठी हुई है।
( २ ) अन्जनासूनु - जिनकी माता का नाम अन्जनी है।
( ३ ) वायुपुत्र - जो पवन देव के पुत्र है ।
( ४ ) महाबल - जो साक्षात् इस सृष्टि पर बल के कारक है और जिनके पास अधाह बल है इसलिए उन्हें महाबल कहा जाता है।
( ५ ) रामेष्ट - जिनके अराध्य ईष्ट प्रभु राम है।
( ६ ) फाल्गुण सख: - जो अर्जुन के मित्र है।
( ७ ) पिंगाक्ष - जिनकी आंँखें लाल और भूरे रंग वाली है।
( ८ ) अमित विक्रम: - युद्ध स्थली में जो अमिट है और युद्ध स्थली में जिनके पराक्रम और शक्ति का कोई तोड़ नहीं ऐसे विक्रम और शक्तिशाली योद्धा ।
( ९ ) उदधिक्रमण - सुबह जब सूर्य उदय होते है तब उनका सर्वप्रथम सुन्दर और सौम्य दृश्य और मनोहरी आभा वाले ।
( १० ) सीताशोक विनाशक: - सर्वप्रथम अशोक वाटिका में पहुँच माता सीता को शोक से मुक्त करने वाले।
( ११ ) लक्ष्मण प्राणदाता - शक्ति बाण से पीड़ित लक्ष्मण जी को संजीवनी लाकर उनके प्राण बचाने वाले।
( १२ ) दशग्रीवस्य दर्पहा - रावण के दसों शीशों के अहंकार का नाश करने वाले।
आप सभी के लिए मंगलवार का दिन शुभ व मंगलमय हो।
।।नमो नारायण।।
गुरु राहुलेश्वर
भाग्य मंथन
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हिन्दु कैलेंडर के अनुसार हर माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी के रुप में मनाया जाता है और इस दिन व्रत लिया जाता है। कालाष्टमी के दिन भगवान शिव के रौद्र रुप कालभैरव भगवान की पूजा अर्चना करी जाती है।
हिन्दु कैलेंडर के अनुसार आज वैशाख - कृष्ण अष्टमी तिथि है ( 03 मई 2021 ) अर्थात वैशाख कालाष्टमी है। आज पूरा विश्व मानव निर्मित महामारी की चपेट में पल पल मृत्यु का ग्रास बन रहा है, इस स्थिति में भगवान कालभैरव से हम सभी को प्रार्थना करनी चाहिए कि वह सत्य के मार्ग पर चलने वालों का रक्षण करें और मानवता के शत्रु और विपरीत मार्ग पर चलने वालों का भक्षण करें और इस संसार को मानव निर्मित इस भयंकर बीमारी से मुक्त करें।
।।ॐ कालभैरवाय नमः।।
नमो नारायण
गुरु राहुलेश्वर, भाग्य मंथन
वन्दे वांछितलाभाय चंद्रार्धक्रतशेखराम ।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनीम ।।
भावार्थंः शैलपुत्री माता जो यशस्विनी हैं, जिनके मस्तक पे आधा चन्द्र सुशोभित है, जो वृष पे आरुड़ हैं , इच्छित लाभ देने वाली हैं, उनकी हम वंदना करते हैं ।।
राहुलेश्वर
भाग्य मंथन
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दैत्यमन्त्री गुरुस्तेषां प्राणदश्च महामति:। प्रभु: ताराग्रहाणां च पीड़ां हरतु मे भृगु: ।।
अर्थः दैत्यों के मंत्री और गुरु तथा उन्हें जीवनदान देने वाले, तारा ग्रहों के स्वामी, महान् बुद्धिसंपन्न शुक्र मेरी पीड़ा को दूर करें ।
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अर्थः सर्वदा लोक कल्याण में निरत रहने वाले, देवताओं के मंत्री, विशाल नेत्रों वाले तथा अनेक शिष्यों से युक्त बृहस्पति मेरी पीड़ा को दूर करें ।
राहुलेश्वर
भाग्य मंथन
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आज सुबह ही यह शोक समाचार प्राप्त हुआ कि उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी के पिता श्री आनंद सिंह बिष्ट जी का आकस्मिक निधन हो गया है।
स्वर्गवास होने की सूचना मिलने से जन संघ पार्टी के सभी कार्यकर्ता स्तब्ध है। परमपिता परमेश्वर पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें व शोकाकुल परिजनों को संबल प्रदान करें।
गुरु राहुलेश्वर, राष्ट्रीय सचिव
जन संघ प्रार्टी
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शास्त्रों के अनुसार माँ गायत्री को वेदमाता माना गया है और गायत्री मंत्र को सभी मंत्रों की जननी बताया गया है। गायत्री मंत्र के नियमपूर्वक जाप करने से समस्त पापों का नाश होता है।
पूर्व जन्म के संस्कारों के कारण हमें वर्तमान शरीर प्राप्त होता है और द्वादश राशियों में किसी एक राशि में हमारा जन्म होता है। प्रारब्ध कर्मों के प्रभाव के कारण सत्व, रज और सम गुणों के आधार पर वर्तमान जन्म में हमें अलग-अलग देवी देवताओं के प्रति रुचि स्वतः ही उत्पन्न होती है और ऐसे में उनके गायत्री मंत्र के अनुसार पूजन करना बहुत शुभ व तेजी से अच्छे परिणाम देने वाला साबित होता है।
आज मंगलवार है और मंगलवार विशेष रुप से मंगल ग्रह और वीर हनुमान के पूजन के लिए जाना जाता है। हनुमान जी वीरों में वीर है और अष्टचिरंजीवी भी है और कलयुग में जागृत देवताओं में से एक है। इनके पूजन से जीव का अपनी इन्द्रियों पर नियंत्रण बढ़ता है, पापमार्ग से जीव तेजी से दूर होता है और सदमार्ग पर चलकर जीवन का सदुपयोग कर पाता है।
गायत्री मंत्र का जाप करने के लिए तीन समय मुख्य है जिसमें सर्वप्रथम प्रातःकाल, सूर्योदय से थोड़ी देर पहले मंत्र जाप शुरु करें और सूर्योदय के पश्चात् तक करें।
दूसरा समय दोपहर का होता है और
तीसरा समय शाम के समय सूर्यास्त के कुछ देर पहले मंत्र जाप शुरु करना चाहिए और सूर्यास्त होने के कुछ देर बाद तक जाप करना चाहिए।
वीर हनुमान के पूजन हेतु गायत्री मंत्र आपकी सुविधा के लिए यहाँ दिया गया है।
ॐ आंजनेयाय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि तन्नो हनूमान् प्रचोदयात् ॥
गायत्री मंत्र का जाप करते समय एक बात का ध्यान रखें कि इस मंत्र का जाप करते समय बहुत तेज या बहुत धीमें उच्चारण नहीं करना चाहिए ब्लकि मध्यम स्वर में उच्चारण करना चाहिए।
गुरु राहुलेश्वर
भाग्य मंथन
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आपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेहर्निशं मया। दासोयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वर।।
गतं पापं गतं दुःखं गतं दारिद्र्य मेव च आगता: सुख संपत्ति पुण्योहम तव दर्शनात ।।
भावार्थः मैं जाने अनजाने में प्रतिदिन हजारों अपराध करता हूँ जिसके लिए मुझे अपना दास मानकर हे परमेश्वर क्षमा कर दें। आपके पुण्य दर्शन मात्र से ही मेरे सभी पापों का नाश हो, दुख दूर हों, दरिद्रता दूर जाये और सुख सम्पत्ति का मेरे जीवन में वास हो।
राहुलेश्वर
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दसों दिशाओं में #अधर्म पर #धर्म की #विजय के प्रतीक #विजय #दशमी पर्व की आप सभी देशवासियों को बहुत बहुत #शुभकामनाएं।
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श्वेते वृषे समारूढा: श्वेताम्बरधरा शुचि: ।
#महागौरी शुभम दद्यान्महादेवप्रमोददा ।।
भावार्थः जो देवि वृषभ के ऊपर विराजमान रहती है, जिनके वस्त्रों का रंग श्वेत है, जो महादेव शिव की प्रसन्नता के लिए सदैव ध्यानरत रहती है उन शुभ प्रभाव वाली महादेवी महागौरी को नमस्कार है।
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अंहकार में डूबी सृष्टि करती पापाचार
रोग विषाणु लेकर तब राहु करते वार
प्रमादी संवत्सर में होगा भय का राज
भयछाया में होगा सृष्टि का पुनः श्रृंगार
श्रृंगार मध्य पुनः होगा भूमि में कम्पन
मानस में होगी पीड़ा और होगा क्रन्दन
भयराज की पूजा करके ढूढेंगे लोग उपाय
सन्त भूमि पर जाकर श्रद्धा सुमन चढ़ाये
अन्त समय होगी भयमुक्ति जल के द्वारा
भयमल निकल पड़ेगा हरिद्वार से सारा
गुरु राहुलेश्वर
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