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Osho is displaying one of the adaptions animals have to control heat exchange with the environment. This adaption is called evaporation, and his adaption is panting. After hiking around Painted Mines, Osho started panting in order to cool down because this form of evaporation is the only way animals can.
Photo Credit: Amanda Trenkel
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Osho के अंतिम वचन
19 जनवरी 1990
संध्या 5 बजे
ओशो आश्रम,पुणे
भारत।
ओशो :- एक फक्कड़ मसीहा
उनसे पूंछा गया कि सब सन्यासियों को क्या कहा जाय ?
उन्होंने कहा कि- "सबसे कहना कि अमेरिका में शार्लट, नार्थ केरोलाइना की जेल में रहने के बाद से उनका शरीर जर्जर होता चला गया।
ओक्लाहोमा जेल में उन्हें थेलियम जहर दिया गया और रेडियेशन से गुजारा गया,जिसका कि चिकित्सा विशेषज्ञों से संपर्क करने पर बहुत बाद में पता चल पाया,इस तरह जहर दिया गया जिसका पीछे कोई सबूत न छूटे।
मेरा जर्जर शरीर अमरीकी सरकार के इसाई मतान्धो की कारस्तानी है। अपनी शारीरिक पीड़ा को मैंने स्वयं तक ही रखा,लेकिन इस शरीर में रहकर कार्य करना अब घोर कष्टप्रद एवं असंभव हो गया है।"
इतना कहकर वे लेटकर आराम करने लगे। उस समय जयेश वहाँ नहीं था।
अमृतो जयेश के पास भागा-भागा गया और उसे बताया कि ओशो स्पष्टतः शरीर छोड़ रहे है। ओशो ने जब अम्रतो को पुकारा तब अम्रतो ने ओशो को बताया,कि जयेश भी आया हुआ है तो उन्होंने जयेश को भी भीतर लाने को कहा। जब दोनों उनके पास बिस्तर पर बैठ गये तब उन्होंने कहा,
"मेरे संबंध में कभी भी अतीत काल में बात मत करना। मेरे प्रताड़ित शरीर से मुक्त होकर मेरी उपस्थिति कई गुना बढ़ जायेगी। मेरे लोगो को याद दिलाना कि वे अब मुझे और भी अधिक महसूस कर सकेंगे-मेरे लोगो को तत्क्षण पता चल जायेगा।"
अम्रतो उनका हाथ थामे हुये था और यह सुनकर वह रोने लगा। उन्होंने उसकी ओर कड़ी नजर से देखा।
वे बोले-"नहीं,नहीं यह ढंग नहीं है ?"यह सुनकर उसने तत्क्षण रोना बंद कर दिया तब उन्होंने बड़े सुंदर ढंग से मुस्कराते हुये उसे स्नेह से भरकर निहारा।
फिर उन्होंने कहा मैं चाहता हूं कि मेरे काम का विस्तार जारी रहे। अब मैं अपना शरीर छोड़ रहा हूं। अब बहुत से लोग आयेंगे,और बहुत-बहुत से लोगो का रस जागेगा। और उनका कार्य इतने अविश्वसनीय रूप से बढ़ेगा जिसकी तुम सब कल्पना भी नहीं कर सकते। मैं तुम सबको अपना स्वप्न सौंपता हूं।"
उनके हाथ की नब्ज अम्रतो देख रहा था जो आहिस्ता आहिस्ता विलीन होती गई। जब वह बहुत मुश्किल से नब्ज को महसूस कर पा रहा था तो उसने कहा -
"ओशो ! मैं समझता हूं-
This is it ।(अब समय आ गया)"
उन्होंने केवल धीमे से सिर हिलाकर हामी भरी और चिरकाल के लिये अपने कमलनयनों को बंद कर लिया।
ओह!! मेरे प्यारे सदगुरु आपको प्रणाम प्रणाम प्रणाम।
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Sausages made from alligator @Gumbo Shop, New Orleans, LA
なんとワニのソーセージ!どんなゲテモノかと恐るおそる食すも、何の癖もなくさっぱりした美味しさ。