bhagyamanthan
Who is Freind and Who is Enemy, Guru Rahuleshwar, Bhagya Manthan, मित्र कौन है और शत्रु कौन है, गुरु राहुलेश्वर, भाग्य मंथन
यह शरीर ही सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड है और इसी के अन्दर सभी रहस्यों का उत्तर और सभी समस्याओं का समाधान है। हमारे शरीर में ही शत्रु का भी वास है और मित्र का भी वास है। आलस्य हमारे शरीर का सबसे बड़ा शत्रु है और यदि यह शरीर में अत्यधिक रहे तो अपमान, अवनति, रोग व सर्वस्व असफलता का कारक है और दूसरी तरफ परिश्रम हमारे शरीर का सबसे बड़ा मित्र है क्योंकि इससे शरीर पूर्ण रुप से स्वस्थ रहता है, सम्मान की प्राप्ति होती है, उन्नति के साथ जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता मिलती है इसलिए सदैव आलस्य से दूर रहे और सदैव परिश्रमी बनिये।
गुरु राहुलेश्वर
भाग्य मंथन
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यह शरीर ही सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड है और इसी के अन्दर सभी रहस्यों का उत्तर और सभी समस्याओं का समाधान है। हमारे शरीर में ही शत्रु का भी वास है और मित्र का भी वास है। आलस्य हमारे शरीर का सबसे बड़ा शत्रु है और यदि यह शरीर में अत्यधिक रहे तो अपमान, अवनति, रोग व सर्वस्व असफलता का कारक है और दूसरी तरफ परिश्रम हमारे शरीर का सबसे बड़ा मित्र है क्योंकि इससे शरीर पूर्ण रुप से स्वस्थ रहता है, सम्मान की प्राप्ति होती है, उन्नति के साथ जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता मिलती है इसलिए सदैव आलस्य से दूर रहे और सदैव परिश्रमी बनिये।
गुरु राहुलेश्वर
भाग्य मंथन
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