Pranav Prakash
Maa ki goad yaad aati hai...
डूबे डूबे दिल की जब, धड़कने बढ़ जाती हैं
ऐसे में फिर माँ की गोद याद आती है
तमाम मुश्किलों से जूझ कर, जब लौटते हैं हम
और गुजरते वक़्त की आहट, हमारा मुह चिढाती है
ऐसे में फिर माँ की गोद याद आती है
बांहों में झुलाती थी कभी, हमको हमारी माँ
झटके दे दे कर हमको अब दुनिया झुलाती है
ऐसे में फिर माँ की गोद याद आती है
किसी ने डांट क्या दिया, छुपा लेती माँ आँचल में
ये दुनिया तो बात बात पर, दामन छुड़ाती है
ऐसे में फिर माँ की गोद याद आती है
अगर यूँ देखें तो, खुदगर्ज़ कुछ कम नहीं हम भी
हमें भी तो, मुसीबत में ही, माँ की याद आती है
डूबे डूबे दिल की जब, धड़कन बढ़ जाती है
ऐसे में फिर माँ की गोद याद आती है
-Unknown
Maa ki goad yaad aati hai...
डूबे डूबे दिल की जब, धड़कने बढ़ जाती हैं
ऐसे में फिर माँ की गोद याद आती है
तमाम मुश्किलों से जूझ कर, जब लौटते हैं हम
और गुजरते वक़्त की आहट, हमारा मुह चिढाती है
ऐसे में फिर माँ की गोद याद आती है
बांहों में झुलाती थी कभी, हमको हमारी माँ
झटके दे दे कर हमको अब दुनिया झुलाती है
ऐसे में फिर माँ की गोद याद आती है
किसी ने डांट क्या दिया, छुपा लेती माँ आँचल में
ये दुनिया तो बात बात पर, दामन छुड़ाती है
ऐसे में फिर माँ की गोद याद आती है
अगर यूँ देखें तो, खुदगर्ज़ कुछ कम नहीं हम भी
हमें भी तो, मुसीबत में ही, माँ की याद आती है
डूबे डूबे दिल की जब, धड़कन बढ़ जाती है
ऐसे में फिर माँ की गोद याद आती है
-Unknown