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ज्ञानाविधि में क्या ध्यान रखना चाहिए
ज्ञानविधी प्राप्ति का दिन हमारे जीवन का सबसे बड़ा दिन है। इस दिन के लिए हमें बहुत उल्लास और आनंद होना चाहिए। जितना हमें उल्लास होगा, उतनी ही एकाग्रता आएगी, जो हमें ज्ञानविधि का अधिक से अधिक लाभ लेने में उपयोगी होता है। इसमें भेद्ज्ञान की बाते बुलवाते है , जो सिर्फ दोहराना ही होता है। शब्द तो सिर्फ माध्यम है, लेकिन असलमे आपको जो प्राप्ति होती है, में शुद्धात्मा हूँ – यह लक्ष आता है , वह ज्ञान है। इन सब के पीछे अनुभव ज्ञान का निचोड़ है, वह कृपा से होता है। हमें इस दिन बुद्धि का उपयोग नही करना चाहिए।
To know more please click on:
In English: www.dadabhagwan.org/self-realization/
In Hindi: hindi.dadabhagwan.org/self-realization/
In Gujarati: www.dadabhagwan.in/self-realization/
ज्ञानाविधि में क्या ध्यान रखना चाहिए
ज्ञानविधी प्राप्ति का दिन हमारे जीवन का सबसे बड़ा दिन है। इस दिन के लिए हमें बहुत उल्लास और आनंद होना चाहिए। जितना हमें उल्लास होगा, उतनी ही एकाग्रता आएगी, जो हमें ज्ञानविधि का अधिक से अधिक लाभ लेने में उपयोगी होता है। इसमें भेद्ज्ञान की बाते बुलवाते है , जो सिर्फ दोहराना ही होता है। शब्द तो सिर्फ माध्यम है, लेकिन असलमे आपको जो प्राप्ति होती है, में शुद्धात्मा हूँ – यह लक्ष आता है , वह ज्ञान है। इन सब के पीछे अनुभव ज्ञान का निचोड़ है, वह कृपा से होता है। हमें इस दिन बुद्धि का उपयोग नही करना चाहिए।
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