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Poetry, Guru Rahuleshwar, Bhagya Manthan, कविता, गुरु राहुलेश्वर, भाग्य मंथन

अंहकार में डूबी सृष्टि करती पापाचार

रोग विषाणु लेकर तब राहु करते वार

प्रमादी संवत्सर में होगा भय का राज

भयछाया में होगा सृष्टि का पुनः श्रृंगार

श्रृंगार मध्य पुनः होगा भूमि में कम्पन

मानस में होगी पीड़ा और होगा क्रन्दन

भयराज की पूजा करके ढूढेंगे लोग उपाय

सन्त भूमि पर जाकर श्रद्धा सुमन चढ़ाये

अन्त समय होगी भयमुक्ति जल के द्वारा

भयमल निकल पड़ेगा हरिद्वार से सारा

 

गुरु राहुलेश्वर

भाग्य मंथन

 

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Uploaded on April 24, 2020
Taken on April 24, 2020