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सूर्य स्वयं प्रकाशित ग्रह है। सूर्य ग्रह अग्नि का गोला है। चंद्र और दूसरे अन्य ग्रह सूर्य से प्रकाशित हैं। नौ ग्रहों में सूर्य नारायण को राजा माना गया है। सूर्य पुरुष ग्रह है। सूर्य देव का स्वभाव तमोगुणी है। सूर्य ज्योतिष में पिता, पुत्र, हृदय और सत्ता का कारक ग्रह है। सत्य को सूर्य से देखा जाता है। इसका तीखा स्वाद है। सूर्य के प्रभाव के बिना पृथ्वी अंधकारमय है। सृष्टि के सभी पेड़–पौधे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा आपको आक्सीजन देते हैं जिससे यह जीवन सृष्टि चला करती है। सूर्य की किरणें मानवता के लिए वरदान है। इसलिए, सूर्य को पूरे संसार का पालक कह सकते हैं।
वैदिक ज्योतिष्य के अनुसार सूर्य का रत्न माणिक्य है। अगर आपकी कुंडली में सूर्य शुभ प्रभाव में है तो आपको अवश्य ही माणिक्य रत्न धारण करना चाहिए।
विविध ग्रहों के साथ सूर्य की युति का कुंडली पर प्रभाव
सूर्य में से निकलने वाली किरणें प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से अन्य ग्रहों को प्रकाशित करती है। इसलिए ज्योतिष शास्त्र में सूर्य ग्रह का प्रभाव महत्वपूर्ण कहा गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य यानी आत्मा और चंद्रमा यानी मन।
आइये अब देखते है जब सूर्य आपकी कुंडली में अलग–अलग ग्रहों के साथ होता है तो आपके लिए कैसे शुभ या अशुभ फल लेकर आता है।
सूर्य और चंद्र की युति
ज्योतिष के नजरिये से सूर्य और चंद्रमा की बात करें तो सूर्य–चंद्र की युति जातक को दृढ़ निश्चयी बनाती है। यहां पर चंद्रमा सूर्य के कारकत्व को बढ़ा देता है।
सूर्य और मंगल की युति
सूर्य व मंगल अर्थात आत्मा और साहस साथ–साथ हो तो वैदिक ज्योतिष के अनुसार अंगारक दोष बनता है। एेसे जातक बहुत गुस्सैल किस्म के होते हैं। किसी भी निर्णय में जल्दबाजी करते हैं जिसकी वजह से बहुधा अपनी टांग पर स्वयं ही कुल्हाड़ी मार लेते हैं। मुसीबत मोल ले लेते हैं।
सूर्य और बुध की युति
सूर्य और बुध की युति का विचार करें तो सूर्य (आत्मा) और बुध (बुद्धि) का समन्वय जातक को आंतरिक बुद्धि और वाह्य बुद्धि की एकरूपता को दर्शाता है। ग्रहों की एेसे युति वाले जातक निर्णय लेने में अत्यंत अडिग होते हैं। पिता और पुत्र दोनों की शैक्षणिक योग्यता अच्छी होती है। समाज में प्रतिष्ठित रहता है।
सूर्य और गुरु की युति
सूर्य व गुरु अगर कुंडली में अगर एक साथ हो तो बहुत ही अच्छे आध्यात्मिक योग का निर्माण होता है। वेदों में सूर्य को आत्मा और गुरु को आंतरिक बुद्धि यानी अंतर्मन कहा गया है। सूर्य व गुरु की युति जातक को धर्म और अध्यात्म की ओर ले जाती है। इस युति का नकारात्मक पक्ष केवल इतना रहता है कि इससे जातक जिद्दी सा हो जाता है।
सूर्य और शुक्र की युति
सूर्य व शुक्र यदि कुंडली में साथ आ जाए तो क्या कहने ! शुक्र जीवन की उमंग है तो सूर्य उसको देने वाली ऊर्जा। कुंडली में एेसे गुणों वाला जातक अपनी लाइफ को रॉयल यानी शाही तरीके से जीता है। हालांकि, पर्सनल लाइफ में मनमुटाव और असंतोष की भावना पैदा होने से भी इंकार नहीं किया जा सकता। जातक यदि अपनी लालसाओं पर काबू नहीं रख पाता तो वह विलासी, सौंदर्य प्रिय और स्त्री प्रिय होकर चीजों पर धन लुटाता रहता है।
सूर्य और शनि की युति
सूर्य और शनि की युति होने पर यानी सूर्य और शनि यदि कुंडली में साथ बैठ जाएं तो शापित दोष बना लेते हैं। एेसे जातक के जीवन के अधिकांश भाग में संघर्षपूर्ण स्थिति पैदा हो जाती है। यहां दिलचस्प बात यह है कि पुराणों के अनुसार सूर्य और शनि के पिता–पुत्र के संबंध होने पर भी एक दूसरे के शत्रु हैं। इस प्रकार से पिता–पुत्र के बीच वैर व नाराजगी बढ़ जाने की आशंका बढ़ जाती है। नौकरीपेशा लोगों का वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मतभेद और असंतोष पैदा होता है।
सूर्य और राहु की युति
सूर्य और राहु अगर किसी कुंडली में युति में आ जाएं तो ज्योतिषीय दृष्टि से ग्रहण योग बना लेते हैं। अगर ये डिग्रीकल (अंशात्मक) नजदीक हो और यह दोष कुंडली में 2,6,8 या 12वें भाव में बन रहा हो तो पितृदोष भी बनाता है। एेसे जातक को अपने जीवन के तमाम क्षेत्रों में अवरोध का सामना करना पड़ता है। मुसीबतों के पीछा न छोड़ने की वजह से जातक का अपने ऊपर से से भी आत्मविश्वास उठ जाता है।
सूर्य और केतु की युति
सूर्य और केतु के साथ होने पर जातक के अंदर सूर्य के गुणों में कमी आ जाती है। वह मूर्ख, चंचल दिमाग का अस्थिर, विचित्र प्रवृत्ति, अन्याय का साथ देने वाला, हानिकारक एवं शंकालु स्वभाव का होता है।
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वैदिक ज्योतिष्य के अनुसार सूर्य का रत्न माणिक्य है। अगर आपकी कुंडली में सूर्य शुभ प्रभाव में है तो आपको अवश्य ही माणिक्य रत्न धारण करना चाहिए।
विविध ग्रहों के साथ सूर्य की युति का कुंडली पर प्रभाव
सूर्य में से निकलने वाली किरणें प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से अन्य ग्रहों को प्रकाशित करती है। इसलिए ज्योतिष शास्त्र में सूर्य ग्रह का प्रभाव महत्वपूर्ण कहा गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य यानी आत्मा और चंद्रमा यानी मन।
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सूर्य और चंद्र की युति
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सूर्य और मंगल की युति
सूर्य व मंगल अर्थात आत्मा और साहस साथ–साथ हो तो वैदिक ज्योतिष के अनुसार अंगारक दोष बनता है। एेसे जातक बहुत गुस्सैल किस्म के होते हैं। किसी भी निर्णय में जल्दबाजी करते हैं जिसकी वजह से बहुधा अपनी टांग पर स्वयं ही कुल्हाड़ी मार लेते हैं। मुसीबत मोल ले लेते हैं।
सूर्य और बुध की युति
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सूर्य और गुरु की युति
सूर्य व गुरु अगर कुंडली में अगर एक साथ हो तो बहुत ही अच्छे आध्यात्मिक योग का निर्माण होता है। वेदों में सूर्य को आत्मा और गुरु को आंतरिक बुद्धि यानी अंतर्मन कहा गया है। सूर्य व गुरु की युति जातक को धर्म और अध्यात्म की ओर ले जाती है। इस युति का नकारात्मक पक्ष केवल इतना रहता है कि इससे जातक जिद्दी सा हो जाता है।
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सूर्य और शनि की युति
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