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Sahityayan Trust
साहित्यायन ट्रस्ट की स्थापना 4 सितंबर 2015 को एक ग़ैर लाभकारी, ग़ैर राजनीतिक, पंथ निरपेक्ष, स्वैच्छिक और कल्याणार्थ सामाजिक सेवा न्यास के रूप में की गई।
ट्रस्ट की स्थापना की संकल्पना को साकार करने में किशोर वय से लेकर वरिष्ठ साथियों की समान भूमिका रही है। इसके गठन में चार पीढ़ियों के विचार, अनुभव और ऊर्जा शामिल हैं। जैसा कि ट्रस्ट के बैनर पर लिखा है , सभी के स्वप्न और लक्ष्य एक हैं और ये उद्देश्य हैं : सामाजिक एवं आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों, सांस्कृतिक रूप से हाशिये पर पड़े वर्गों और समाज के दुर्बल एवं दबे -कुचले वर्गों का विकास। ट्रस्ट ने जिन क्षेत्रों में विशेष रूप से सक्रिय है, वे हैं ---- समाज, साहित्य, संस्कृति , शिक्षा, स्वास्थ्य संबंधी क्रियाकलाप।
ट्रस्ट का लक्ष्य बिना किसी लाभ के उपर्युक्त क्षेत्रों में कार्य करना है और इसका कार्यक्षेत्र सम्पूर्ण भारत है। न्यास के प्रबंध मण्डल में दो न्यासी हैं : श्री ब्रजेन्द्र त्रिपाठी एवं डॉ. आरती स्मित। इसके अतिरिक्त कार्यकारी मण्डल का गठन किया गया है, जिसमें स्त्री एवं पुरुष सदस्यों की संख्या समान रखी गई है। यह विभिन्न कार्यों के संबंध में अपने सुझाव देता है, जिसपर न्यासी मण्डल विचार कर निर्णय लेता है।
न्यास के लक्ष्य :
1 प्रतिकूल परिवेश में रहने को विवश बच्चों को एक स्वस्थ और अनुकूल परिवेश मुहैया कराना। उनके लिए आधुनिक और वैज्ञानिक तकनीक एवं प्रविधियों द्वारा प्रारम्भिक स्तर की शिक्षा से लेकर उच्च स्तर तक की शिक्षा उपलब्ध कराना - या तो नि: शुल्क या अत्यंत कम शुल्क के आधार पर
2 स्वरोज़गारपरक शिक्षा को बढ़ावा देना, श्रम को महत्व दिलाना
3 सामाजिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक विषयों पर संगोष्ठियों, परिसंवादों एवं व्याख्यानों का आयोजन
4 साहित्य, कला और संस्कृति से सम्बद्ध छिपी प्रतिभाओं को मंच उपलब्ध कराना
5 गाँवों-कस्बों में पुस्तकालयों, वाचनालयों की स्थापना और स्थानीय वासियों के सहयोग से उनके संचालन की उचित व्यवस्था
6 पुस्तकों एवं पत्रिका का प्रकाशन
7 गरीब बच्चों को स्कूल ड्रेस एवं समस्त शैक्षिक सामग्रियाँ पूरे वर्ष उपलब्ध कराना
8 झुग्गी-झोपड़ी या पुल के नीचे रहनेवाले लोगों को स्वास्थ्य,सफाई एवं शिक्षा के प्रति जागरूक करना। उनके लिए यथासंभव नि: शुल्क स्वास्थ्य जांच एवं चिकित्सा -सुविधाएं उपलब्ध कराना
9 पर्यावरण में सुधार के लिए वृक्षारोपण करना और लोगों में भी ऐसे कार्यों में सहयोग के लिए जागरूकता पैदा करना
10 देश और समाज के हित में जो भी सकारात्मक कार्य योजना सदस्यों की सोच का हिस्सा बने, उसपर विचार कर कार्यान्वित करना।
ट्रस्ट के द्वारा आरंभ किए गए कार्यों की झलकियाँ समय -समय पर पेश की जा चुकी हैं , आगे भी पेश की जाती रहेंगी। जैसे - ट्रस्ट ने अपने कार्य की शुरआत दीपावली के दीयों को प्रतीक बनाकर की।अक्षरधाम सेतु के नीचे रहवासियों के बीच जाकर अपनी पहली दीपावली मनाई, फिर बच्चों को जोड़ने की कोशिश बाल दिवस से शुरू की, उन्हें रैन बसेरा 131 में आकर पढ़ने के लिए राज़ी किया, दो युवा कार्यकारी सदस्यों अर्शदीप सिंह एवं श्रेया श्रुति ने अध्यापन कार्य संभाला, साथ ही कार्टून फिल्में दिखाने,उन्हें कहानियाँ सुनाने , चित्र बनवाने आदि का काम भी वे संभालते हैं। अध्यक्ष एवं महासचिव भी कुछ अंतराल पर उस बस्ती में जाकर उनकी समस्याएँ सुनते और रास्ता निकालते हैं। प्रणीता, अजीत कुमार, अपर्णा त्रिपाठी एवं प्रकर्ष ट्रस्ट की योजनाओं को कार्यान्वित करने व गतिविधियों को सफल बनाने में पूर्ण सहयोग करते हैं। प्रत्येक सदस्य प्रतिमाह अपनी जेबखर्च या आमदनी का कुछ हिस्सा दान करते हैं। ट्रस्ट की ओर से मिले हर दायित्व को सजगतापूर्वक पूर्वक पूरा करते हैं। इसी बस्ती में ट्रस्ट ने पहला गणतन्त्र दिवस यहाँ के रहवासियों के साथ मनाया और यहीं के बच्चों को गीत एवं नृत्य के लिए तैयार किया, होली भी इनके साथ ही मनाई। इन सबका सकारात्मक प्रभाव यह पड़ा कि वे धूल धूसरित रहनेवाले बच्चे अब साफ-सुथरे रहते, पढ़ते और विद्यालय जाते हैं, कुछ माता- पिता अब भी जागरूक नहीं हो पाए, किन्तु रोशनी फैलने लगी है तो अँधेरा दूर भागेगा ही।
जो भी साथी हमारे इन कार्यों में समय या धन से सहयोग करना चाहें कृपया संपर्क करें
ब्रजेन्द्र त्रिपाठी आरती स्मित
(अध्यक्ष) (महासचिव)
07065613103 08387836119
Sahityayan Trust
साहित्यायन ट्रस्ट की स्थापना 4 सितंबर 2015 को एक ग़ैर लाभकारी, ग़ैर राजनीतिक, पंथ निरपेक्ष, स्वैच्छिक और कल्याणार्थ सामाजिक सेवा न्यास के रूप में की गई।
ट्रस्ट की स्थापना की संकल्पना को साकार करने में किशोर वय से लेकर वरिष्ठ साथियों की समान भूमिका रही है। इसके गठन में चार पीढ़ियों के विचार, अनुभव और ऊर्जा शामिल हैं। जैसा कि ट्रस्ट के बैनर पर लिखा है , सभी के स्वप्न और लक्ष्य एक हैं और ये उद्देश्य हैं : सामाजिक एवं आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों, सांस्कृतिक रूप से हाशिये पर पड़े वर्गों और समाज के दुर्बल एवं दबे -कुचले वर्गों का विकास। ट्रस्ट ने जिन क्षेत्रों में विशेष रूप से सक्रिय है, वे हैं ---- समाज, साहित्य, संस्कृति , शिक्षा, स्वास्थ्य संबंधी क्रियाकलाप।
ट्रस्ट का लक्ष्य बिना किसी लाभ के उपर्युक्त क्षेत्रों में कार्य करना है और इसका कार्यक्षेत्र सम्पूर्ण भारत है। न्यास के प्रबंध मण्डल में दो न्यासी हैं : श्री ब्रजेन्द्र त्रिपाठी एवं डॉ. आरती स्मित। इसके अतिरिक्त कार्यकारी मण्डल का गठन किया गया है, जिसमें स्त्री एवं पुरुष सदस्यों की संख्या समान रखी गई है। यह विभिन्न कार्यों के संबंध में अपने सुझाव देता है, जिसपर न्यासी मण्डल विचार कर निर्णय लेता है।
न्यास के लक्ष्य :
1 प्रतिकूल परिवेश में रहने को विवश बच्चों को एक स्वस्थ और अनुकूल परिवेश मुहैया कराना। उनके लिए आधुनिक और वैज्ञानिक तकनीक एवं प्रविधियों द्वारा प्रारम्भिक स्तर की शिक्षा से लेकर उच्च स्तर तक की शिक्षा उपलब्ध कराना - या तो नि: शुल्क या अत्यंत कम शुल्क के आधार पर
2 स्वरोज़गारपरक शिक्षा को बढ़ावा देना, श्रम को महत्व दिलाना
3 सामाजिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक विषयों पर संगोष्ठियों, परिसंवादों एवं व्याख्यानों का आयोजन
4 साहित्य, कला और संस्कृति से सम्बद्ध छिपी प्रतिभाओं को मंच उपलब्ध कराना
5 गाँवों-कस्बों में पुस्तकालयों, वाचनालयों की स्थापना और स्थानीय वासियों के सहयोग से उनके संचालन की उचित व्यवस्था
6 पुस्तकों एवं पत्रिका का प्रकाशन
7 गरीब बच्चों को स्कूल ड्रेस एवं समस्त शैक्षिक सामग्रियाँ पूरे वर्ष उपलब्ध कराना
8 झुग्गी-झोपड़ी या पुल के नीचे रहनेवाले लोगों को स्वास्थ्य,सफाई एवं शिक्षा के प्रति जागरूक करना। उनके लिए यथासंभव नि: शुल्क स्वास्थ्य जांच एवं चिकित्सा -सुविधाएं उपलब्ध कराना
9 पर्यावरण में सुधार के लिए वृक्षारोपण करना और लोगों में भी ऐसे कार्यों में सहयोग के लिए जागरूकता पैदा करना
10 देश और समाज के हित में जो भी सकारात्मक कार्य योजना सदस्यों की सोच का हिस्सा बने, उसपर विचार कर कार्यान्वित करना।
ट्रस्ट के द्वारा आरंभ किए गए कार्यों की झलकियाँ समय -समय पर पेश की जा चुकी हैं , आगे भी पेश की जाती रहेंगी। जैसे - ट्रस्ट ने अपने कार्य की शुरआत दीपावली के दीयों को प्रतीक बनाकर की।अक्षरधाम सेतु के नीचे रहवासियों के बीच जाकर अपनी पहली दीपावली मनाई, फिर बच्चों को जोड़ने की कोशिश बाल दिवस से शुरू की, उन्हें रैन बसेरा 131 में आकर पढ़ने के लिए राज़ी किया, दो युवा कार्यकारी सदस्यों अर्शदीप सिंह एवं श्रेया श्रुति ने अध्यापन कार्य संभाला, साथ ही कार्टून फिल्में दिखाने,उन्हें कहानियाँ सुनाने , चित्र बनवाने आदि का काम भी वे संभालते हैं। अध्यक्ष एवं महासचिव भी कुछ अंतराल पर उस बस्ती में जाकर उनकी समस्याएँ सुनते और रास्ता निकालते हैं। प्रणीता, अजीत कुमार, अपर्णा त्रिपाठी एवं प्रकर्ष ट्रस्ट की योजनाओं को कार्यान्वित करने व गतिविधियों को सफल बनाने में पूर्ण सहयोग करते हैं। प्रत्येक सदस्य प्रतिमाह अपनी जेबखर्च या आमदनी का कुछ हिस्सा दान करते हैं। ट्रस्ट की ओर से मिले हर दायित्व को सजगतापूर्वक पूर्वक पूरा करते हैं। इसी बस्ती में ट्रस्ट ने पहला गणतन्त्र दिवस यहाँ के रहवासियों के साथ मनाया और यहीं के बच्चों को गीत एवं नृत्य के लिए तैयार किया, होली भी इनके साथ ही मनाई। इन सबका सकारात्मक प्रभाव यह पड़ा कि वे धूल धूसरित रहनेवाले बच्चे अब साफ-सुथरे रहते, पढ़ते और विद्यालय जाते हैं, कुछ माता- पिता अब भी जागरूक नहीं हो पाए, किन्तु रोशनी फैलने लगी है तो अँधेरा दूर भागेगा ही।
जो भी साथी हमारे इन कार्यों में समय या धन से सहयोग करना चाहें कृपया संपर्क करें
ब्रजेन्द्र त्रिपाठी आरती स्मित
(अध्यक्ष) (महासचिव)
07065613103 08387836119