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Latest And Tops Shayari In The Year 2017

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दोस्तों,

 

इस सूत्र में पेश करूँगा हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के मशहूर शायरों के चंद शेर.....

 

मुझे इन शायरों के नाम तो नहीं पता,

 

मगर ये सारे शेर मुझे बहुत ही पसंद हैं.

 

आप भी २ या ४ लाइन के शेर इस सूत्र में रख कर सूत्र की सुन्दरता बढायें.....

 

Hindustan aur Pakistan ke mashoor shayaro ke chand sher pesh kiye jayenge, Urdu Shero Shayari padhne ke liye sahi jagah hai ye

 

mehfil-e-shayri me yaha aapko milenge hindi urdu ke shayaro ke ek se badh kar ek sher jaise Mohabbat Shayari , Romantic Shayari,

 

This page contains Urdu/Hindi Poetry of poets from India and Pakistan

 

01-04-2011, 03:30 PM

 

उसके होंठों पे कभी बददुआ नहीं होती ,

 

बस इक माँ है जो मुझसे कभी खफा नहीं होती.

 

01-04-2011, 03:32 PM

 

मौत आई तो क्या मैं मर जाऊँगा?

 

मैं तो इक दरिया हूँ, जो समंदर में मिल जाऊँगा.

 

01-04-2011, 03:35 PM

 

नाकामियों ने और भी सरकश बना दिया,

 

इतने हुए जलील, की खुददार हो गए...

 

01-04-2011, 03:38 PM

 

उसको रुखसत तो किया था, मुझे मालून न था.

 

सारा घर ले गया, छोड़ के जाने वाला.....

 

01-04-2011, 03:40 PM

 

सर पर चढ़कर बोल रहे हैं, पौधे जैसे लोग,

 

पेड़ बने खामोश खड़े हैं, कैसे-कैसे लोग.....

 

01-04-2011, 03:49 PM

 

जो चीज़ उन्होंने ख़त में लिखी थी, नहीं मिली.

 

ख़त हमको मिल गया है, तस्सली नहीं मिली.....

 

01-04-2011, 03:53 PM

 

अकेले बैठोगे, तो मसले जकड लेंगे.,

 

ज़रा सा वक़्त सही , दोस्तों के नाम करो.....

 

01-04-2011, 03:54 PM

 

ज़िन्दगी के मायने तो याद तुमको रह जायेंगे ,

 

अपनी कामयाबी में कुछ कमी भी रहने दो....

 

hsaxsena8

 

01-04-2011, 04:43 PM

 

मैंने उसका हाथ थमा था राह दिखने को,

 

अब ज़माने को दर्द हुआ तो मैं क्या करूँ ?

 

01-04-2011, 05:10 PM

 

किसी को मकां मिला,किसी के हिस्से में दुकां आई,

 

मैं घर में सबसे छोटा था,मेरे हिस्से में माँ आई.....

 

01-04-2011, 05:12 PM

 

मुझको थकने नहीं देता , ये ज़रुरत का पहाड़.

 

मेरे बच्चे मुझे बूढा होने नहीं देते......

 

01-04-2011, 05:14 PM

 

मैंने कल शब चाहतों की सब किताबें फाड़ दी,

 

सिर्फ एक कागज़ पर लफ्जे माँ रहने दिया .....

 

01-04-2011, 05:16 PM

 

गम बिछड़ने का नहीं करते खानाबदोश ,

 

वो तो वीराने बसाने का हुनर जानते हैं.......

 

01-04-2011, 05:18 PM

 

प्यार अपनों का मिटा देता है ,इंसान का वजूद ,

 

जिंदा रहना है तो गैरों की नज़र में रहिये.......

 

01-04-2011, 08:59 PM

 

रंजिश ही सही , दिल को दुखाने के लिए आ,

 

आ फिर से मुझे , छोड़ जाने के लिए आ.....

 

alvi

 

01-04-2011, 09:25 PM

 

जी एक से बड़कर एक शायरी मारी है आप ने मेरी तरफ से ये रहा

 

वो खुदगर्ज हो गए तो मै क्या करू

 

मुझे उनकी वफा भुलाई नही जाती

 

BHARAT KUMAR

 

02-04-2011, 07:41 AM

 

बहुत ही जबरदस्त संग्रह.. और भी लिखिए फुल मून जी

 

बेमिसाल.. खासतोर से माँ ..

 

बहुत दिल को छु गयी ये लाइनें

 

मैं भी कुछ पक्तियां डालना चाहूँगा,,, फुल मून जी कोई परेशानी तो नहीं?

 

man-vakil

 

02-04-2011, 09:06 AM

 

मिर्ज़ा ग़ालिब का एक शेर है पेश करता हूँ:

 

बड़े बेआबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले..बहुत निकले मगर मेरे अरमान दिल से लेकिन कम निकले..

 

निकलना खुल्द( स्वर्ग) से आदम का सुनते आये थे, हुआ मालुम तब , तेरे कूचे से जब हम निकले..

 

man-vakil

 

02-04-2011, 09:08 AM

 

मिर्ज़ा ग़ालिब का एक शेर है पेश करता हूँ:

 

"दिल-इ-नादान तुझे हुआ क्या है..आखिर इस दर्द की दवा क्या है..

 

हमको उनसे से वफ़ा की उम्मीद ..जो नहीं जानते वफ़ा क्या है.."

 

lalit1234

 

02-04-2011, 09:49 AM

 

मिर्ज़ा ग़ालिब का एक शेर है पेश करता हूँ:

 

बड़े बेआबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले..बहुत निकले मगर मेरे अरमान दिल से लेकिन कम निकले..

 

निकलना खुल्द( स्वर्ग) से आदम का सुनते आये थे, हुआ मालुम तब , तेरे कूचे से जब हम निकले..

 

मन जी ग़ालिब का ये शेर इस प्रकार है

 

" हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी की हर ख्वाहिश पे दम निकले ,

 

बहुत निकले मेरे अरमां मगर फिर भी कम निकले !

 

डरे क्यूँ मेरा कातिल ? क्या रहेगा उसकी गर्दन पर ,

 

वो खूँ जो चश्मेतर से उम्रभर यूँ दमबदम निकले !

 

निकलना खुल्द से आदम का सुनते आये थे लेकिन,

 

बहुत बेआबरू होकर तेरे कुचे से हम निकले !!""

 

ग़ालिब की एक शायरी हम भी पेश करते हैं

 

" हर एक बात पे कहते हो तुम की तू क्या है,

 

तुम्ही कहो की ये अंदाज-ए-गुफ्तगुं क्या है!

 

जला है जिस्म जहाँ , दिल भी जल गया होगा ,

 

कुरेदते हो जो अब राख जुस्तजूं क्या है!

 

रंगों में दोड़ने फिरने के, हम नहीं कायल ,

 

जब आँख ही से ना टपका तो लहू क्या है !

 

वो चीज़ जिसके लिए हो हमको हो बहिश्त ( स्वर्ग) अज़ीज़

 

सिवाए बादा-ए-गुल्फामें(सुन्दर) मुश्कबू (कस्तूरी या सुगंध ) क्या है !!"

 

02-04-2011, 08:43 PM

 

बहुत ही जबरदस्त संग्रह.. और भी लिखिए फुल मून जी

 

बेमिसाल.. खासतोर से माँ ..

 

बहुत दिल को छु गयी ये लाइनें

 

मैं भी कुछ पक्तियां डालना चाहूँगा,,, फुल मून जी कोई परेशानी तो नहीं?

 

don भाई,

 

अगर आपके पास भी इन महान शायरों के शेर हैं,तो यहाँ अवश्य पोस्ट करें,

 

मैंने ये सूत्र बनाया ही इसीलिए है ताकि मैं भी अपने संग्रह में कुछ और बेहतरीन शेरों को जोड़ सकूँ,

 

जो की मुझे आप जैसे मित्रों से ही प्राप्त होंगे.

 

02-04-2011, 08:44 PM

 

प्यार,,,,प्यार भी कभी पूरा होता है?

 

इसका तो पहला अक्षर ही अधूरा होता है.

 

02-04-2011, 08:47 PM

 

है जमाने की बुराई हममे,

 

हम जमाने को बुरा कहते हैं.

 

जो समझ में ना किसी के आये,

 

हम उसी को खुदा कहते हैं......

 

02-04-2011, 08:50 PM

 

ठहरी है तो इक चेहरे पे ठहरी रही है बरसों,

 

भटकी है तो फिर आँख भटकती ही रही है.......

 

Sajid_Gunahgaar-

 

02-04-2011, 09:09 PM

 

उलझा दिया दीमक ने ये कैसे शरारत की

 

कागज तो नहीं चाटा ,तहरीर मिटा दी है

 

Sajid_Gunahgaar-

 

02-04-2011, 09:12 PM

 

मार ही डाले जो बेमौत, ये दुनिया वाले

 

हम जो जिन्दा हैं तो जीने का हुनर रखते हैं /

 

03-04-2011, 01:22 PM

 

कही से सुना था उसने, की जीवन काँटों भरा होता है,

 

तब से सदा वो दूसरों के जीवन में कांटे बोता है.....

 

03-04-2011, 01:24 PM

 

दिल के फफोले जल उठे , सीने के दाग से,

 

इस घर को आग लग गयी, घर के चिराग से.....

 

03-04-2011, 01:26 PM

 

कौन कहता ही की छेद आसमां में हो नहीं सकता,

 

इक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों.......

 

04-04-2011, 03:34 PM

 

मेहरबान होकर बुला लो मुझे जिस वक़्त,

 

मैं गया वक़्त नहीं की फिर आ भी ना सकूँ.....

 

04-04-2011, 03:37 PM

 

रस्ते को भी दे दोष , आँखें भी कर लाल,

 

चप्पल में जो कील है , पहले उसे निकाल.....

 

04-04-2011, 03:39 PM

 

कोई इसके साथ है , कोई उसके साथ है ,

 

देखना ये चाहिए , मैदान किसके हाथ है.....

 

05-04-2011, 10:16 PM

 

काश बनाने वाले ने दिल कांच के बनाये होते,

 

तोड़ने वाले के हाथ में ज़ख्म तो आये होते.....:tuta-dil:

 

05-04-2011, 10:19 PM

 

खुद को पढता हूँ, फिर छोड़ देता हूँ,

 

रोज़ ज़िन्दगी का एक हर्फ़ मोड़ देता हूँ...

 

05-04-2011, 10:26 PM

 

मंज़ूर नहीं किसी को ख़ाक में मिलना,

 

आंसू भी लरज़ता हुआ आँख से गिरता है.....

 

06-04-2011, 05:55 PM

 

दुश्मनी का सफ़र एक कदम दो कदम,

 

तुम भी थक जाओगे, हम भी थक जाएंगे.....

 

06-04-2011, 05:58 PM

 

नन्हे बच्चों ने छू लिया चाँद को,

 

बूढ़े बाबा कहानी ही सुनाते रह गए..... ..

 

punjaban rajji kaur

 

07-04-2011, 08:19 AM

 

waah waah

 

waah waah

 

08-04-2011, 11:03 PM

 

जाती है धूप उजले परों को समेट के,

 

ज़ख्मों को अब गिनूंगा मैं बिस्तर पे लेट के.....

 

08-04-2011, 11:11 PM

 

कांच की गुडिया ताक में कब तक सजाये रखेंगे,

 

आज नहीं तो कल टूटेगा, जिसका नाम खिलौना है.....

 

08-04-2011, 11:12 PM

 

दिल की ना रह दिल में, ये कहानी कह लो,

 

चाहे दो हर्फ़ लिखो,चाहे जबानी कह लो,

 

मैंने मरने की दुआ मांगी,जो पूरी ना हुयी,

 

बस इसी को मेरे जीने की कहानी कह लो.......

 

08-04-2011, 11:14 PM

 

दुश्मनों के साथ मेरे दोस्त भी आज़ाद है,

 

देखना है , फेंकता है मुझ पर पहला तीर कौन......

 

09-04-2011, 06:42 PM

 

मैंने कहा कभी सपनो में भी शक्ल ना मुझको दिखाई,

 

उसने कहा, मुझ बिन भला तुझको नींद ही कैसे आई?

 

09-04-2011, 06:43 PM

 

मुझ में तुझ में फर्क नहीं,मुझ में तुझ में फर्क है ये ,

 

तू दुनिया पर हँसता है,दुनिया मुझ पर हंसती है.....

 

09-04-2011, 06:45 PM

 

तुमको गैरों से कब फुर्सत,

 

हम अपने गम से कब खाली,

 

चलो बस हो चुका मिलना,

 

ना तुम खाली ,ना हम खाली.....

 

09-04-2011, 06:49 PM

 

ना समझने की ये बातें हैं, ना समझाने की,

 

ज़िन्दगी उचटी हुयी नींद है दीवाने की......

 

10-04-2011, 12:04 PM

 

दिल मुझे तितली का टूटा हुआ पर लगता है,

 

अब तेरा नाम भी लिखते हुए डर लगता है.....

 

10-04-2011, 12:05 PM

 

ज़िन्दगी से जो भी मिले , सीने से लगा लो,

 

गम को सिक्के की तरह उछाला नहीं करते......

 

10-04-2011, 12:07 PM

 

साहिल से सकूँ से किसे इनकार है लेकिन,

 

तूफ़ान से लड़ने में मज़ा ही कुछ और है.....

 

10-04-2011, 12:08 PM

 

मेरे गम ने होश उनके भी खो दिए,

 

वो समझाते-सम्झाते खुद ही रो दिए.....

 

Ranveer

 

10-04-2011, 01:11 PM

 

सताइशगर है ज़ाहिद इस क़दर जिस बाग़े-रिज्वॉ का,

 

वह इक गुलदस्तः है हम बेख़ुदों के ताक़े-निसियाँ का ।

 

मतलब जिस ज़ाहिद (परहेज़गार, संयमी) जिस स्वर्गोद्यान की इतनी प्रशंसा करता है और हमें प्रलोभन देकर उधर आकर्षित करना चाहता है, हमारे-जैसे बेख़ुद लोग उसकी परवाह भी नहीं करते, उसे रखकर भूल जाते हैं ।

 

इसमें ताक़े-निसियाँ का अर्थ वह ताक जिस पर कुछ रखकर भूल जाएँ । प्रायः गुलदस्ता ताक़ में ही सजाया जाता है ।

 

Ranveer

 

10-04-2011, 01:14 PM

 

ख़ामोशी में निहाँ खूँगश्तः लाखों आरजुएँ हैं,

 

चिराग़े-मुर्दः हूँ मैं बेज़बाँ गोरे गरीबाँ का ।

 

"जिस प्रकार परदेसियों और पथिकों की क़ब्रों के बुझे हुए दीपक उनकी लाखों कामनाओं को अपने कलेजे में छिपाए होते हैं वैसे ही मेरे मौन में भी रक्तरंजित लाखों कामनाएँ निहित है ।" यहाँ चिराग़े-मुर्दः का मतलब बुझा हुआ या मौन दीपक से है ।

 

Ranveer

 

10-04-2011, 01:19 PM

 

कुछ खटकता था मेरे सीने में लेकिन आख़िर,

 

जिसको दिल कहते थे सो तीर का पैकाँ निकला ।

 

अर्थात "मेरे सीने में कुछ खटकता तो था । मैं उसे अपना दिल समझ रहा था पर आख़िर देखा गया तो वह तीर का पैकाँ (नोक) निकला । आँखों के वाण से दिल तो बिंधता ही है, वह तो एक सामान्य सी बात है पर यहाँ वाण ही दिल बन गया है ।

 

John69

 

10-04-2011, 03:18 PM

 

जॉन (ग़ालिब) छुटी शराब पर अब भी कभी-कभी,

 

पीता हूँ रोज-ऐ-अब्र-ओ-शब्-ऐ-माहताब में....................

 

11-04-2011, 05:48 PM

 

जनम मरण का साथ था जिनका, उन्हें भी हमसे बैर,

 

वापिस ले चल अब तो हमे, हो गयी जग की सैर....

 

11-04-2011, 05:49 PM

 

अपने ही साए में था, मैं शायद छुपा हुआ,

 

जब खुद ही हट गया, तो कही रास्ता मिला.....

 

11-04-2011, 05:51 PM

 

ना समझने की ये बातें हैं, ना समझाने की,

 

ज़िन्दगी उचटती हुयी नींद है दीवाने की....

 

11-04-2011, 05:52 PM

 

आज आगोश में था और कोई ,

 

देर तक हम तुझे न भुला सके .....

 

11-04-2011, 05:54 PM

 

अचानक चौंक उठा हूँ , जिस दम पड़ी है आँख ,

 

आये तुम आज भूली हुयी याद की तरह......

 

ras

 

11-04-2011, 05:54 PM

 

फूल्मून भाई हम आपका विश्व सिनेमा वाले section में कब से वेट कर रहे हैं और आप यहाँ हैं. कुछ निगाहें करम इधर भी जी, हम आपके साइलेंट फेन हैं.

 

15-04-2011, 12:41 PM

 

जिंदगी में खूब कमाया , क्या हीरे क्या मोती ,

 

क्या करूँ मगर कफ़न में जेबें नहीं होती......

 

15-04-2011, 12:43 PM

 

जवानी जाती रही और हमें पता भी ना चला ,

 

उसी को ढूंढ रहे हैं , कमर झुकाए हुए,,,,

 

16-04-2011, 06:53 PM

 

वो अपने आप को बेहतर शुमार करता है ,

 

अजीब शख्स है , अपना ही शिकार करता है.....

 

16-04-2011, 06:54 PM

 

ले के उस पार ना जायेगी जुदा राह कोई ,

 

भीड़ के साथ ही दलदल में उतरना होगा.....

 

16-04-2011, 06:56 PM

 

अँधेरा कब्र का इतने में ही खुश है ,

 

की जलता है कोई ऊपर दिया तो...

 

16-04-2011, 06:57 PM

 

बस इतनी सी बात पे दुनिया गिनती है नादानों में ,

 

प्यार की गर्मी ढूंढ रहा हूँ , बर्फीली चट्टानों में....

 

marwariladka

 

17-04-2011, 12:12 AM

 

फूल मून जी..आप आये बहार ई..कृपया जरी रखिये....

 

17-04-2011, 08:01 PM

 

बात कम कीजिये ,जहालत छुपाते रहिये,

 

अजनबी दुनिया है , दोस्त बनाते रहिया ,

 

दिल मिले ना मिले , हाथ मिलाते रहिये...

 

17-04-2011, 08:08 PM

 

सफ़र में मुश्किलें आयें, तो जुर्रत और बढती है ,

 

कोई जब रास्ता रोके , तो हिम्मत और बढती है....

 

17-04-2011, 08:10 PM

 

हादसों की ज़द में हैं तो मुस्कुराना छोड़ दें ,

 

जलजलों के खौफ से क्या घर बनाना छोड़ दें ??/

 

raj_mishra121

 

18-04-2011, 02:21 PM

 

वो झूद भी बोल रहा था बड़े सलीके से

 

मैं एइत्बार ना करता तो क्या क्या करता

 

raj_mishra121

 

18-04-2011, 02:42 PM

 

लाख तलवारे बढ़ी आती हों गर्दन की तरफ

 

सर झुकना नहीं आता तो झुकाए कैसे

 

raj_mishra121

 

18-04-2011, 02:43 PM

 

मैं भी उसे खोने का हुनर सीख न पाया

 

उसको भी मुझे छौड के जाना नहीं आता

 

raj_mishra121

 

18-04-2011, 02:51 PM

 

सहारा लेना ही पड़ता है मुझको दरिया का

 

मैं इक कतरा हूँ तनहा तो बह नहीं सकता

 

Sajid_Gunahgaar-

 

18-04-2011, 03:06 PM

 

इस जहां में कब किसी का दर्द अपनाते हैं लोग ,

 

रुख हवा का देख कर अक्सर बदल जाते हैं लोग

 

Sajid_Gunahgaar-

 

18-04-2011, 03:09 PM

 

उजाले में शमा जलाने से क्या फायदा

 

वक्त गुजरने के बाद पछताने से क्यां फायदा

 

18-04-2011, 03:33 PM

 

राज जी और साजिद जी,

 

आप दोनों के पास बेहतरीन शेरों का संकलन है.

 

कृपया ऐसे ही और शेर पेश करते रहें.

 

Sajid_Gunahgaar-

 

18-04-2011, 04:02 PM

 

दिल में अरमान बहुत हैं सजाऊँ कैसे,

 

तेरी याद बहुत आये ,भुलाऊँ कैसे

 

Sajid_Gunahgaar-

 

18-04-2011, 04:03 PM

 

तेरा मिलना लाख खुशी की बात सही

 

पर तुझसे मिलके ,उदास रहते हैं

 

Sajid_Gunahgaar-

 

18-04-2011, 04:06 PM

 

खत पे खत हमने भेजे पर जवाब आता नहीं

 

कौन सी ऐसी खता हुयी मुझ को याद आता नहीं

 

Nisha.Patel

 

18-04-2011, 04:07 PM

 

कहाँ से आ गयी दुनिया कहाँ, मगर देखो,

 

कहाँ-कहाँ से अभी कारवाँ गुज़रता है।

 

हम वहाँ हैं जहाँ अब अपने सिवा,

 

एक भी आदमी बहुत है मियाँ।

 

टुकड़े-टुकड़े दिन बीता,

 

धज्जी-धज्जी रात मिली।

 

जिसका जितना आंचल था,

 

उतनी ही सौग़ात मिली।।

 

जब चाहा दिल को समझें,

 

हंसने की आवाज़ सुनी।

 

जैसे कोई कहता हो, लो

 

फिर तुमको अब मात मिली।।

 

बातें कैसी ? घातें क्या ?

 

चलते रहना आठ पहर।

 

दिल-सा साथी जब पाया,

 

बेचैनी भी साथ मिली।।

 

उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो

 

न जाने किस गली में ज़िन्दगी की शाम हो जाये

 

हमने इक शाम चराग़ों से सजा रक्खी है

 

शर्त लोगों ने हवाओं से लगा रक्खी है

 

दिया ख़ामोश है लेकिन किसी का दिल तो जलता है

 

चले आओ जहाँ तक रौशनी मालूम होती है

 

मुझसे मत जी को लगाओ कि नहीं रहने का

 

मैं मुसाफिर हूँ कोई दिन को चला जाऊँगा

 

आज सोचा तो आँसू भर आये

 

मुद्दतें हो गईं मुस्कराये

 

Sajid_Gunahgaar-

 

18-04-2011, 04:08 PM

 

दोस्तों ने हर कदम पे रुसवा किया

 

तब से मुझे दुश्मनों की दुश्मनी अच्छी लगी

 

Sajid_Gunahgaar-

 

18-04-2011, 04:09 PM

 

आईना टूट भी जाए तो कोई बात नहीं

 

लेकिन दिल न टूटे ये बिकते नहीं बाजारों में

 

Sajid_Gunahgaar-

 

18-04-2011, 04:11 PM

 

ऐ दोस्त ,मेरी दोस्ती में क्या कमी है ,

 

क्यूँ दिल में गम और पलकों में नमी है

 

Nisha.Patel

 

18-04-2011, 04:18 PM

 

'परिंदे भी नहीं रहते पराये आशियानों में,

 

हमने जिंदगी गुजारी है किराये के मकानों में।'

 

एक काँच ने पत्थर से मोहब्बत करली !

 

टकरा कर उससे अपनी जिंदगी चकनाचूर करली !!

 

काँच की दीवानगी तो देखिए......!

 

अपने हजारो टुकरो में भी उसकी तस्वीर भरली !!

 

रुला कर वो हमें खुश हो जायेंगे !

 

साथ में न सही दूर जाके मुस्कुरायेंगे !!

 

दुवा हैं खुदा से उनको दर्द न देना !

 

हम तो सह गए पर वो टूट जायेंगे !!

 

उनकी याद में जलना अजीब लगता हैं !

 

धीरे - धीरे से पिघलना अजीब लगता हैं !!

 

सारी दुनियाँ के बदलने से मुझे फर्क नहीं परता !

 

बस कुछ अपनों का बदलना अजीब लगता हैं !!

 

मेहनत लगती हैं सपनो को हकीकत बनाने में !

 

होसला लगता हैं बुलंदियों को पाने में .....!!

 

अरसा लगता हैं एक जिंदगी बनाने में !

 

जिंदगी भी कम पर जाती हैं एक सच्चा दोस्त पाने में !!

 

हर खामौशी में दो बात होती हैं !

 

हर दिल में एक याद होती हैं !!

 

आपको पता हो या न हो ...!

 

आपकी ख़ुशी के लिए रोज हमारी फरियाद होती हैं !!

 

रूठे हुए को मनाना जिंदगी हैं !

 

दुसरो को हँसाना जिंदगी हैं !!

 

कोई जीत कर खुश हुवा तो क्या हुवा !

 

सब कुछ हार कर मुश्कुराना जिंदगी हैं !!

 

मुमकिन नहीं इस प्यार को भुला पाना !

 

मुमकिन नहीं आपको यादों से मिटा पाना !!

 

आप एक कीमती तोहफा हो दोस्ती का !

 

मुमकिन नहीं इस तोहफे की किम्मत चूका पाना !!

 

Nisha.Patel

 

18-04-2011, 04:26 PM

 

बहुत ही अच्छा सूत्र हे फूल्मून जी

 

18-04-2011, 04:39 PM

 

बहुत ही अच्छा सूत्र हे फूल्मून जी

 

निशा जी,

 

बहुत ही अच्छे शेर पेश किये आपने,सीधे दिल को छूते हैं.

 

इन्हें मैं अपने personal collection में संभाल के रख लूँगा.

 

आभार के साथ reputation स्वीकार करें.

 

18-04-2011, 04:43 PM

 

तेरा मिलना लाख खुशी की बात सही

 

पर तुझसे मिलके ,उदास रहते हैं

 

साजिद जी,

 

आपके इस कवि ह्रदय के लिए मेरी तरफ से reputation .....

 

Nisha.Patel

 

18-04-2011, 04:50 PM

 

शुक्रिया फूल्मून जी

 

आभार

 

निशा जी,

 

बहुत ही अच्छे शेर पेश किये आपने,सीधे दिल को छूते हैं.

 

इन्हें मैं अपने personal collection में संभाल के रख लूँगा.

 

आभार के साथ reputation स्वीकार करें.

 

Nisha.Patel

 

18-04-2011, 04:59 PM

 

साजिद जी आप ऐसे ही इस सूत्र मैं भी योगदान देते रहे और बाकि सभी को भी मेरी तरफ से सुभकामनाये

 

धन्यवाद

 

Cool

 

18-04-2011, 06:25 PM

 

MAT PUCH KE KYA HAAL HAI TERA MERE AAGE.

 

MAT PUCH KE KYA HAAL HAI TERA MERE AAGE.

 

YE DEKH KE KYA RANG HAI MERA TERE AAGE.

 

SUNIL1107

 

18-04-2011, 08:22 PM

 

तेरे वादे पर जिये हम, तो यह जान, झूठ जाना,

 

कि ख़ुशी से मर न जाते, अगर एतबार होता !

 

SUNIL1107

 

18-04-2011, 08:25 PM

 

बिजली सी कौंद गयी आँखों के आगे, तो क्या,

 

बात करते कि मैं लब-तश्नऐ-तक़री भी था !

 

"वह आकर और एक झलक-सी दिखलाकर ग़ायब हो गए । आँखों के आगे एक बिजली-सी कौंद गयी । पर मैं तो उनसे बातचीत का प्यासा था; दो-एक बातें भी कर लेते तो कितना अच्छा होता ।"

 

18-04-2011, 09:42 PM

 

हर दर्द को दफ़न कर गहराई में कहीं ,

 

दो पल के लिए सब कुछ भुलाया जाए.

 

रोने के लिए घर में कोने बहुत से हैं ,

 

आज महफ़िल में चलो सब को हंसाया जाए.....

 

18-04-2011, 09:45 PM

 

टूटी टूटी सी हर एक आस लगे ,

 

ज़िन्दगी अब मुझे राम का वनवास लगे .....

 

18-04-2011, 09:46 PM

 

रिश्तेदारी भी टेलीफ़ोन है आज ,

 

सिक्के डालो, तो बात होती है.....

 

18-04-2011, 09:48 PM

 

क्या पता था, दोस्त ऐसे भी दगा दे जाएगा ,

 

अपने दुश्मन को मेरे घर का पता दे जाएगा.....

 

Sajid_Gunahgaar-

 

18-04-2011, 09:56 PM

 

कभी झुकने की तमन्ना कभी कड़वा लहजा

 

अपनी उलझी हुयी आदतों पे रोना आया

 

Sajid_Gunahgaar-

 

18-04-2011, 09:58 PM

 

मार ही डाले जो बेमौत ये दुनिया वाले

 

हम जो जिंदा हैं तो जीने का हुनर रखते हैं

 

Sajid_Gunahgaar-

 

18-04-2011, 10:00 PM

 

ज़िंदगी तू सदा करती है मुझसे मजाक

 

हम भी देख्नेगे ज़रा तुझसे शरारत कर के

 

18-04-2011, 10:02 PM

 

अरमां तमाम उम्र के सीने में दफ़न हैं....

 

हम चलते फिरते लोग मजारों से कम नहीं.....

 

18-04-2011, 10:04 PM

 

मार ही डाले जो बेमौत ये दुनिया वाले

 

हम जो जिंदा हैं तो जीने का हुनर रखते हैं

 

साजिद भाई,

 

कमाल की धार है आपके इन शेरों में.:salut:

 

माफ़ करें दोबारा आप को reputation नहीं दे पा रहा हूँ.

 

Sajid_Gunahgaar-

 

18-04-2011, 10:19 PM

 

साजिद भाई,

 

कमाल की धार है आपके इन शेरों में.:salut:

 

माफ़ करें दोबारा आप को reputation नहीं दे पा रहा हूँ.

 

कोई बात नहीं राकेश भाई

 

वैसे भी इन दुखों से दूर ही रहता हूँ मै

 

आपके सहयोग के लिए धन्यवाद

 

BHARAT KUMAR

 

19-04-2011, 05:32 AM

 

तुम्हे तो इल्म है, क्या खूब वो ज़माना था!

 

हमारे पास तुम्हारा भी आना-जाना था!

 

BHARAT KUMAR

 

19-04-2011, 05:32 AM

 

तुम्हे तो इल्म है, क्या खूब वो ज़माना था!

 

हमारे पास तुम्हारा भी आना-जाना था!

 

तुझे खबर भी है इसकी ओ रूठने वाले,

 

तुम्हारा प्यार ही मेरा कीमती खजाना था!

 

BHARAT KUMAR

 

19-04-2011, 05:33 AM

 

तुम्हे तो इल्म है, क्या खूब वो ज़माना था!

 

हमारे पास तुम्हारा भी आना-जाना था!

 

तुझे खबर भी है इसकी ओ रूठने वाले,

 

तुम्हारा प्यार ही मेरा कीमती खजाना था!

 

तुम्हारी रात का नुकसान इसमें क्या होता,

 

तुम्हे तो आके मेरा होसला बढ़ाना था!

 

BHARAT KUMAR

 

19-04-2011, 05:34 AM

 

तुम्हे तो इल्म है, क्या खूब वो ज़माना था!

 

हमारे पास तुम्हारा भी आना-जाना था!

 

तुझे खबर भी है इसकी ओ रूठने वाले,

 

तुम्हारा प्यार ही मेरा कीमती खजाना था!

 

तुम्हारी रात का नुकसान इसमें क्या होता,

 

तुम्हे तो आके मेरा होसला बढ़ाना था!

 

तमाम बातें ये उजड़ा चमन बता देगा,

 

इसी चमन में कभी अपना आशियाना था!

 

BHARAT KUMAR

 

19-04-2011, 05:36 AM

 

नकाब रुख से हटाओ,के रात जाती है!

 

कोई तो बात सुनाओ, के रात जाती है!

 

जो मैकदे में नहीं माय तो क्या हुआ,

 

हमें नज़र से पिलाओ, के रात जाती है!

 

वो एक शब् के लिए मेरे घर पे आये हैं,

 

सितारे तोड़ के लाओ, के रात जाती है!

 

BHARAT KUMAR

 

19-04-2011, 05:38 AM

 

धोखा न देना, तुझ पे ऐतबार बहुत है!

 

ये दिल तेरी चाहत का तलबगार बहुत है!

 

तेरी सूरत न देखें , तो दिखाई कुछ नहीं देता,,

 

हम क्या करें के तुझ से हमें प्यार बहुत है!

 

BHARAT KUMAR

 

19-04-2011, 05:40 AM

 

आरज़ू ये है कि उनकी हर नज़र देखा करें!

 

वो ही अपने सामने हों, हम जिधर देखा करें!

 

इक तरफ हो सारी दुनिया, इक तरफ सूरत तेरी;

 

हम तुझे दुनिया से होकर बेखबर देखा करें !

 

BHARAT KUMAR

 

19-04-2011, 05:41 AM

 

रात घिरे तक घायल नगमें, करते हैं एलान यहाँ!

 

ये दुनिया है संग-दिलों कि, कोई नहीं इंसान यहाँ!

 

प्यार भीख में भी मांगो तो कोई प्यार न डाले झोली में;

 

बिन मांगे मिल जाते हैं, रुसवाई के सामान यहाँ!

 

BHARAT KUMAR

 

19-04-2011, 05:48 AM

 

आज के दौर में समाज में फैली अनेक कुरीतियों में से एक दहेज़ और नारी-शोषण पर चाँद पक्तियां हैं.. आशा है कि इस सूत्र में विचरण करने वाले सभी गणमान्य सदस्यों को पसंद आएगी!

 

एक-एक सांस उसके लिए कत्लगाह थी!

 

उसका गुनाह ये था कि वो बेगुनाह थी!

 

BHARAT KUMAR

 

19-04-2011, 05:49 AM

 

आज के दौर में समाज में फैली अनेक कुरीतियों में से एक दहेज़ और नारी-शोषण पर चाँद पक्तियां हैं.. आशा है कि इस सूत्र में विचरण करने वाले सभी गणमान्य सदस्यों को पसंद आएगी!

 

एक-एक सांस उसके लिए कत्लगाह थी!

 

उसका गुनाह ये था कि वो बेगुनाह थी!

 

वो एक मिटी हुई सी इबारत बनी रही ,

 

चेहरा खुली किताब था, किस्मत सियाह थी!

 

BHARAT KUMAR

 

19-04-2011, 05:51 AM

 

आज के दौर में समाज में फैली अनेक कुरीतियों में से एक दहेज़ और नारी-शोषण पर चाँद पक्तियां हैं.. आशा है कि इस सूत्र में विचरण करने वाले सभी गणमान्य सदस्यों को पसंद आएगी!

 

एक-एक सांस उसके लिए कत्लगाह थी!

 

उसका गुनाह ये था कि वो बेगुनाह थी!

 

वो एक मिटी हुई सी इबारत बनी रही ,

 

चेहरा खुली किताब था, किस्मत सियाह थी!

 

शेहनाइयां उसे भी बुलाती रही मगर,

 

शेहनाइयां-उसे भी बुलाती रही मगर,

 

हर मोड़ पर दहेज़ की कुर्बान्गाह थी!

 

BHARAT KUMAR

 

19-04-2011, 05:53 AM

 

आज के दौर में समाज में फैली अनेक कुरीतियों में से एक दहेज़ और नारी-शोषण पर चाँद पक्तियां हैं.. आशा है कि इस सूत्र में विचरण करने वाले सभी गणमान्य सदस्यों को पसंद आएगी!

 

एक-एक सांस उसके लिए कत्लगाह थी!

 

उसका गुनाह ये था कि वो बेगुनाह थी!

 

वो एक मिटी हुई सी इबारत बनी रही ,

 

चेहरा खुली किताब था, किस्मत सियाह थी!

 

शेहनाइयां उसे भी बुलाती रही मगर,

 

शेहनाइयां-उसे भी बुलाती रही मगर,

 

हर मोड़ पर दहेज़ की कुर्बान्गाह थी!

 

और वो चाहती थी कि रूह उसे सौंप दे मगर,

 

वो चाहती थी कि रूह उसे सौंप दे मगर,

 

उस आदमी की सिर्फ बदन पर निगाह थी!

 

BHARAT KUMAR

 

19-04-2011, 05:54 AM

 

अच्छा सूत्र है दोस्तों! इसमें रोजाना कुछ न कुछ अच्छा और सर्वोत्तम डालते रहना!

 

raj_mishra121

 

19-04-2011, 12:33 PM

 

अपनी सूरत से जो जाहिर है छुपाये कैसे

 

तेरी मर्जी के मुताबिक नज़र आये कैसे

 

raj_mishra121

 

19-04-2011, 12:37 PM

 

जहा रहेगा वही रोशनी लुटायेगा

 

किसी चिराग का अपना माकन नहीं होता

 

19-04-2011, 12:41 PM

 

अपनी सूरत से जो जाहिर है छुपाये कैसे

 

तेरी मर्जी के मुताबिक नज़र आये कैसे

 

बेहतरीन शायरियां पढने को मिल रही हैं,इस सूत्र में.

 

राज जी, आपकी और प्रविष्टियों का इंतज़ार रहेगा,.

 

raj_mishra121

 

19-04-2011, 12:43 PM

 

ताल्लुकात कभी एक से नहीं रखते

 

उसे गँवा के भी जीने का हौशला रखना

 

जब अपने ही लोग आयेंगे लूटने के लिए

 

तो दोस्ती का तकाजा है घर खुलना रखना

 

raj_mishra121

 

19-04-2011, 12:46 PM

 

वो मेरे घर नहीं आता मैं उसके घर नहीं जाता

 

मगर इन एहतियातो से ताल्लुक मर नहीं जाता

 

raj_mishra121

 

19-04-2011, 12:49 PM

 

मुहब्बत के ये आंशु है इन्हें आँखों में रहने दो

 

शरीफों के घरों का मशला बाहर नहीं जाता

 

raj_mishra121

 

19-04-2011, 12:55 PM

 

मुहब्बत के दिनों की यही खराबी है

 

यह रूठ जाये तो फिर लौट कर नहीं आते

 

खुसी की आंख में आंशु की भी जगह रखना

 

बुरे ज़माने किसी से पूछ कर नहीं आते

 

raj_mishra121

 

19-04-2011, 01:05 PM

 

वो प्यार जिसके लिए हमने क्या गवां न दिया

 

उसी ने बच के निकलने का रास्ता न दिया

 

जब एक बार जला ली हाथेलीया अपनी

 

तो फिर खुदा ने उस हाथ में दिया न दिया

 

जबान से दिल के सभी फैसले नहीं होते

 

उसे भुलाने को कहते तो थे पर भुला न दिया

 

raj_mishra121

 

19-04-2011, 01:13 PM

 

मार ही डाले जो बेमौत ये दुनिया वाले

 

हम जो जिंदा हैं तो जीने का हुनर रखते हैं

 

बहुत खूब

 

Kamal Ji

 

19-04-2011, 02:03 PM

 

मार ही डाले जो बेमौत ये दुनिया वाले

 

हम जो जिंदा हैं तो जीने का हुनर रखते हैं

 

बहुत खूब

 

Nisha.Patel

 

19-04-2011, 05:48 PM

 

अब भी कुछ नहीं बिगड़ा प्यारे पता करो लोहारों का

 

धार गिराना काम नहीं है लोहे पर सोनारों का

 

अब तो मजहब कोई ऐसा चलाया जाए

 

जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए

 

इस जहाँ में प्यार महके जिंदगी बाकी रहे

 

ये दुआ मांगो दिलों में रोशनी बाकी रहे

 

अबके सावन में शरारत ये मेरे साथ हुई

 

मेरा घर छोड़कर कुल शहर में बरसात हुई

 

अपने खेतों से बिछड़ने की सज़ा पाता हूं

 

अब मैं राशन की क़तारों में नज़र आता हूं

 

आदमी आदमी को क्या देगा, जो भी देगा वही खुदा देगा

 

जिंदगी को क़रीब से देखो, इसका चेहरा तुम्हें रुला देगा

 

सब कुछ झूठ है लेकिन फिर भी बिलकुल सच्चा लगता है

 

जानबूझकर धोखा खाना कितना अच्छा लगता है

 

:tiranga:

 

19-04-2011, 07:43 PM

 

निशा जी,

 

ये सूत्र मैंने बेहतरीन शेरों को एकत्र करने के लिए शुरू किया था,

 

जिसका लक्ष्य अब पूरा होता दिख रहा है.

 

आपके लिए एक बार फिर से.....:salut::salut:

 

19-04-2011, 07:47 PM

 

जो तुझको जिद है ,तो आगे तुम ही निकल जाओ ,

 

हम अपने पाँव में कांटा कोई चुभो लेंगे.....

 

Nisha.Patel

 

19-04-2011, 07:54 PM

 

निशा जी,

 

ये सूत्र मैंने बेहतरीन शेरों को एकत्र करने के लिए शुरू किया था,

 

जिसका लक्ष्य अब पूरा होता दिख रहा है.

 

आपके लिए एक बार फिर से.....:salut::salut:

 

आपका स्वागत हे

 

MALLIKA

 

19-04-2011, 08:10 PM

 

दोस्तों,

 

इस सूत्र में पेश करूँगा हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के मशहूर शायरों के चंद शेर.....

 

मुझे इन शायरों के नाम तो नहीं पता,

 

मगर ये सारे शेर मुझे बहुत ही पसंद हैं.

 

आप भी २ या ४ लाइन के शेर इस सूत्र में रख कर सूत्र की सुन्दरता बढायें.....

 

मेरी निगाहों ने छेड़ा था ,

 

एक दिन नगमा प्यार का !

 

उसके बदन से,

 

अभी तक सदाए आती है !

 

कभी हक में रहे थे,

 

मेरे गुलुश्फा-इशरत !

 

अब उन लबो पर,

 

फरकत बददुआए आती है !

 

20-04-2011, 12:11 PM

 

अखियाँ दी लाली पई है दसदी ,

 

रोए तुस्सी वी हो , ते रोये अस्सी वी हाँ रात भर.....

 

20-04-2011, 12:17 PM

 

अबके हम बिछड़े ,तो ख्यालों में ही मिलें ,

 

जैसे सूखे हुए फूल , किताबों में मिलें....

 

20-04-2011, 12:18 PM

 

नहीं मोहताज़ जेवर का, जिसे खूबी खुदा ने दी ,

 

की उसको बदनुमा लगता है , जैसे चाँद को गहना.....

 

Ranveer

 

20-04-2011, 02:13 PM

 

फूल्मून जी

 

कुछ लोगों को शेर समझ में नहीं आते इसीलिए मै उनके अर्थ के साथ प्रस्तुत करता रहूंगा

 

आशा करता हूँ की आपके सूत्र में मुझे भी दो चार महान शायरों के शेर डालने की इजाज़त होगी

 

ग़ालिब का एक शेर है

 

तेरे वादे पर जिए हम ,तो ये जान छूट जाना

 

की खुशी से मर जाते , अगर ऐतबार होता

 

अर्थ है

 

ऐ दोस्त ,तू मुझे ज़िंदा देखकर यह न समझ की मैंने तेरे वादे पर ऐतबार किया था ..अगर कहीं मैंने तेरा ऐतबार किया होता तो ख़ुशी के मारे मर गया होता ...ज़िंदा रहना ही इस बात का सबूत है की मुझे तेरे वादे पर विश्वाश नहीं है

 

Nisha.Patel

 

20-04-2011, 02:24 PM

 

दिल का कोई सौदा नहीं होता

 

जिस पर आता उसी का होता

 

चलते है जो जीवन मे साथ

 

निभाते हैं हर समय

 

चाहे न चलते हों राह पर हाथ में डालकर हाथ अपने मन की आंखें बंद कर लो

 

नींद स्वयं ही आ जाती है

 

जो संभाला कोई ख्याल तो

 

फिर गायब हो जाती है

 

सोने से मिला सुख नहीं मिलता

 

जिसके लिये बनी है रात

 

गीत-संगीत के तोहफों से

 

बिखरी पड़ी है दुनियां

 

अपने कानों से मीठी आवाज सुनने के लिये

 

क्या किसी से शब्द और आवाज मांगना

 

इस जीवन में किससे आशा

 

और किससे निराशा

 

जिनसे उम्मीद करोगे

 

बनायेंगे तमाशा

 

जीवन को जिंदा दिलों की तरह जियो

 

जब तक न छोड़े अपना साथ

 

Nisha.Patel

 

20-04-2011, 02:27 PM

 

१) सुर्ख लबों पेम जो तेरा नाम आया हैं,

 

नर्म आँखों से जो यादें बहीं हैं,

 

दिल झूमकर बस गा रहा हैं,

 

मेरे मन में बस एक तूहीं हैं...

 

२) बस चाँद को देखना हमें गवारा नहीं,

 

इन आँखों को तो तेरा इंतजार हैं,

 

चांदनी रात अब हमें लूभाती नहीं,

 

तेरा साथ अगर दुश्वार हैं...

 

३) किसी का नाम लबों पर आना इकरार नहीं होता,

 

प्यार का इजहार ही बस मंजूर नहीं होता,

 

किसी के याद से जबतक दिल बेकरार नहीं होता,

 

जान मेरी तबतक यह प्यार नहीं होता...

 

४) दिल की मजबूरियाँ उन्हें बता न सकें,

 

वो ख़ुद भी तो यें समझ न सकें,

 

और फासला बढ़ता ही गया,

 

हम ख़ुद होकर उसे मिटा न सकें...

 

५) दिल की तनहाईयों में आपका साथ पाया, और हम आपकें दीवानें हो गयें,

 

सोचतें हैं अब इस दुनिया में, कितनीं शमाएं, कितनें परवानें हो गयें,

 

शमा और परवानेंका साथ तो, जनम-जनम का बंधन हैं,

 

हम और आप क्या अलग हैं, जीवन आपको अर्पण हैं...

 

Nisha.Patel

 

20-04-2011, 02:30 PM

 

जनाजा रोककर वो मेरे से इस अन्दाज़ मे बोले,

 

गली छोड्ने को कही थी हमने तुमने दुनियां छोड दी।

 

जो गिर गया उसे और क्यों गिराते हो,

 

जलाकर आशियाना उसी की राख उड़ाते हो ।

 

गुज़रे है आज इश्*क के उस मुकाम से,

 

नफरत सी हो गयी है मोहब्बत के नाम से ।

 

जब जुबां खामोशी होती है नज़र से काम होता है,

 

ऐसे माहौल का ही शायद मोहब्बत नाम होता है।

 

वो फूल जिस पर ज्यादा निखार होते हैं,

 

किसी के दस्त हवस का शिकार होते हैं ।

 

Nisha.Patel

 

20-04-2011, 02:32 PM

 

मै जिसके हाथ मे एक फूल दे कर आया था,

 

उसी के हाथ का पत्थर मेरी तलाश मे है ।

 

यूं तो मंसूर बने फिरते हैं कुछ लोग,

 

होश उड जाते हैं जब सिर का सवाल आता है ।

 

मुझे तो होश नही, तुमको खबर हो शायद ,

 

लोग कहते है कि तुम ने मुझ को बर्बाद कर दिया ।

 

देखिए गौर से रुक कर किसी चौराहे पर,

 

जिंदगी लोग लिए फिरते हैं लाशों के तरह ।

 

इस नगर मे लोग फिरते है मुखौटे पहन कर,

 

असल चेहरों को यहां पह्चानना मुमकिन नही ।

 

Ranveer

 

20-04-2011, 02:34 PM

 

गीत-संगीत के तोहफों से

 

बिखरी पड़ी है दुनियां

 

अपने कानों से मीठी आवाज सुनने के लिये

 

क्या किसी से शब्द और आवाज मांगना

 

इस जीवन में किससे आशा

 

और किससे निराशा

 

जिनसे उम्मीद करोगे

 

बनायेंगे तमाशा

 

बेहतरीन

 

अति सुन्दर .....👏

 

Nisha.Patel

 

20-04-2011, 02:39 PM

 

हस्ती-इ-गुलिस्ताएं जहाँ कुछ भी नहीं...

 

चहकती हैं बुलबुलें जहाँ गुल का निशां कुछ भी नहीं...

 

कल तक जिनके महलों में हजारों झांड़ और फानूश थे...

 

पेड़ ही उनकी कब्र पर, बाकी निशा कुछ भी नहीं...

 

हाथ थे मिले कि ज़ुल्फ़ को सवार दूं...

 

होंठ थे खुले कि हर बहार को पुकार लूं...

 

दर्द था दिया गया कि हर दुखी को पुकार लूं

 

हो सका न कुछ मगर शाम बन गयी सहर..

 

वह उठी लहर कि बह गए किले बिखर बिखर...

 

कारवां गुज़र गया...गुबार देखते रहे...

 

ये जो मेरे शहर में रोशनी लायें होंगे....

 

इन चिरागों ने ना जाने कितने घर जलाये होंगे...

 

हाथ उनके भी यकीनन हुए होंगे जख्मी...

 

जिसने मेरी राह में कांटें बिछाये होंगे..

 

बरस ए अब्र जितना चाहे तू..

 

कि अब तेरी बारी है....

 

कभी दिल था तो हम भी...

 

रो रो के दरिया बहाया करते थे...

 

Nisha.Patel

 

20-04-2011, 02:42 PM

 

शुक्रिया रणवीर जी

 

बेहतरीन

 

अति सुन्दर .....👏

 

Nisha.Patel

 

20-04-2011, 02:47 PM

 

तेरे चेहरे की चमक सदा बनी रहे,

 

हसीं इन लबों पे सदा सजी रहे,

 

दूर रखे खुदा सारे गमो से तुझे,

 

खुशी तेरे दामन में सदा बनी बनी.

 

सिने में लगी आग को दबा लेंगे,

 

दिल में उस बात को छुपा लेंगे.

 

तुझे देखे बिना तेरी तस्वीर बना सकता हूँ,

 

तुझसे मिले बिना तेरा हाल बता सकता हूँ,

 

हैं, मेरी दोस्ती में इतना दम की, अपनी,

 

आखों के आसूं तेरी आखों से गिरा सकता हूँ.

 

बेवफा जब भी तेरी याद आती हैं,

 

टूटे दिल से आह निकल जाती हैं,

 

इस पर तुने मरहम तो लगाया नही था,

 

फ़िर क्यों तेरी याद इसे आ जाती हैं.

 

तुम अपने मादक नयनो से मुझे यूं इशारा न करो,

 

क्योंकि तेरे मादक नयनो को देखकर मेरा मन भी बहक जाता हैं.

 

कसम खाने के बाद, अक्सर वह हमे भूल जाते हैं,

 

तभी तो हम उन्हें बेवफा कहते हैं.

 

मुक्कदर का गरीब, दिल का आमिर था

 

मिलकर बिछड़ना मेरा नसीब था,

 

चाह कर भी कुछ कर न सके हम,

 

घर जलता रहा और समुन्दर करीब था.

 

20-04-2011, 03:18 PM

 

निशा जी,

 

आप की प्रस्तुति मुझे पुरानी फोरम की पूजा यादव की याद दिलाती है,

 

इसी तरह के शेर वो अपने सूत्र " यादें "में पेश किया करती थी,जो सामान्य विभाग का एक सफलतम सूत्र था.

 

फर्क बस इतना है की उनके सारे शेर दर्द भरे होते थे, और साथ में इनसे सम्बंधित चित्र भी संलग्न होता था.

 

Nisha.Patel

 

20-04-2011, 03:24 PM

 

निशा जी,

 

आप की प्रस्तुति मुझे पुरानी फोरम की पूजा यादव की याद दिलाती है,

 

इसी तरह के शेर वो अपने सूत्र " यादें "में पेश किया करती थी,जो सामान्य विभाग का एक सफलतम सूत्र था.

 

फर्क बस इतना है की उनके सारे शेर दर्द भरे होते थे, और साथ में इनसे सम्बंधित चित्र भी संलग्न होता था.

 

हाँ शायद हो सकता हे की मेरे कई शेर उनसे मिलते जुलते होंगे और पूजा यादव जी को तो हम भी जानते हे बहुत ही अच्छे अच्छे शेर पेस करती थी

 

अब ये सूत्र भी उतना ही मशहूर हे जितना पुराना वाला था आप इस सूत्र को निरंतर गति देते रहे

 

धन्यवाद

 

raj_mishra121

 

20-04-2011, 11:25 PM

 

ख्वाब देखू , ख्वाब -सी ताबीर हो सकती नहीं

 

जो बदल जाये मेरी तकदीर हो सकती नहीं

 

ताबीर =असलियत

 

raj_mishra121

 

20-04-2011, 11:25 PM

 

गम के घर तक ना जाने की कोशिश करो

 

जाने किस मोड पर मुस्कराना पड़े

 

raj_mishra121

 

20-04-2011, 11:34 P

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