आपकी मौजूदगी

 

ज़लवा ए हुस्न आपका, रोशन हो गया यह ज़हाँ

नज़र ए इनायत आपकी, महफ़िल हो गई और जवाँ

 

आपके आने से पहले, महफ़िल थी कुछ खोई-खोई

चन्द्रमा की चाँदनी भी, मद्धिम सी थी सोई-सोई

आपकी मौजूदगी का चर्चा चारों ओर यहाँ

नज़र ए इनायत आपकी, महफ़िल हो गई और जवाँ

 

खुशबु ए ज़न्नत से, सरोबार थी पहले भी महफ़िल

आपके दीदार से यहाँ, धड़क उठे लोगों के दिल

दिल थाम के बैठे हैं हम तो कहीं लग जाए ना यहाँ-वहाँ

नज़र ए इनायत आपकी, महफ़िल हो गई और जवाँ

 

एक नज़र पाने को आतुर, सब दिल को बिछाए बैठे हैं

कहीं थम ना जाए दिल की धड़कन, साँस थमाए बैठे हैं

पर आपको मैं क्या कहूँ जो दिल दे बैठे हो वहाँ कहाँ

नज़र ए इनायत आपकी, महफ़िल हो गई और जवाँ

 

ज़लवा ए हुस्न आपका, रोशन हो गया यह ज़हाँ

नज़र ए इनायत आपकी, महफ़िल हो गई और जवाँ

 

रचयिता : आनन्द कवि आनन्द

Email : anandkavianand@gmail.com

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  • JoinedNovember 2009
  • OccupationDirector, DayRise Solar Enerdy Pvt Ltd
  • HometownSonipat, Haryana, India
  • Current citySonipat, Haryana, India
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