प्रेम प्राप्ति
भुवन चारिदस भरा उछाहु।
जनक सुता रघुबीर बिआहू।।
शत्रु को मित्र बनाने के लिए
गरल सुधा रिपु करहिं मिताई।
गोपद सिंधु अनल सितलाई।।
रोजगार के लिए
बिस्व भरन पोषन कर जोई।
ताकर नाम भरत अस होई।।
क्लेश निवारण
हरन कठिन कलि कलुष कलेसू।
महामोह निसि दलन दिनेसू।।
विघA-बाधा निवारण
प्रनवऊंॅ पवनकुमार खल बन
पावक ग्यान घन।
जासु ह्वदय आगार बसहि राम सर चाप धर।।
मनोरथ पूर्ति के लिए
भव भेषज रघुनाथ जसु,सुनहि
जे नर अरू नारि।
तिन्ह कर सकल मनोरथ
सिद्ध करहि त्रिसिरारि।।
एकल चंद्र (केमेन्द्रुम दोष) निवारण
बिन सतसंग बिबेक न होई।
राम कृपा बिनु सुलभ न सोई।।
कालसर्प दोष निवारण
रावण जुद्ध अजान कियो तब,
नाग कि फांस सबै सिर डारो।
श्री रघुनाथ समेत सबै दल,
मोह भयो यह संकट भारो।।
आनि खगेश तबै हनुमान जु,
बंधन काटि सुत्रास निवारो।
को नहि जानत है जग में कपि संकट मोचन नाम तिहारो।।
स्थान/ नगर में प्रवेश करते समय
प्रबिस नगर कीजे सब काजा।
ह्वदय राखि कोसलपुर राजा।।
राहु प्रभाव से कलंक मुक्ति के लिए
मंत्र महामनि विषय ब्याल के।
मेटत कठिन कुअंक भाल के।।
हरन मोह तम दिनकर कर से।
सेवक सालि पाल जलधर के।।
निराशा यानी शनि प्रभाव से मुक्ति
गौतम नारि श्राप बस उपल देह धरि धीर।
चरन कमल रज चाहति कृपा करहु रघुबीर।।
आलस्य से मुक्ति
हनुमान तेहि परसा कर पुनि कीन्ह प्रणाम।
राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहां विश्राम।।
विजय प्राप्ति के लिए
विजय रथ का पाठ लंकाकाण्ड ( दोहा 79-80 मध्य) का नियमित पाठ विजय प्राप्त कराता है।
परिकल्पना-प्रोजेक्ट पूर्णता के लिए
भागीरथ के गंगा अवतरण प्रयास का नियमित पाठ व्यक्ति की कल्पना को साकार करता है।
बंधन मुक्ति
सौ बार हनुमान चालीसा पाठ सभी बंधनों से मुक्त करता है।
श्रद्धापूर्वक मनन,पठन, जप और श्रवण करने से सभी समस्याओं का समाधान हो जाता है। पे्रम और दृढ़ विश्वास फल प्राप्ति के लिए जरूरी है। गुरू मार्गदर्शन लेकर सभी मनोरथ पूरे कर सकते हैं।
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